
केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया था।
जिसे लेकर अब कांग्रेस ने केंद्र सरकार के चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स पब्लिक करने से रोकने के नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
याचिका पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- चुनाव आयोग को ऐसे महत्वपूर्ण कानून (चुनाव संचालन नियम, 1961) में एकतरफा संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- “निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961, में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है. इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.”
क्यों बदला गया था ये नियम?
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का निर्देश दिया था. इसमें CCTV फुटेज को भी नियम 93(2) के तहत माना गया था. चुनाव आयोग ने कहा था कि इस नियम में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं है. इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया है.
EC के मुताबिक, “नॉमिनेशन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, चुनाव रिजल्ट और इलेक्शन अकाउंट स्टेटमेंट जैसे दस्तावेजों का उल्लेख कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल में किया गया है. जबकि कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते.
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