नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को लेकर स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में कॉप26(COP26) अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस सम्मेलन में भारत उन 27 देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने सम्मेलन के पहले सप्ताह के समापन पर सतत कृषि को लेकर एक एक्शन एजेंडा पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एजेंडा के तहत कृषि को अधिक सतत और कम प्रदूषक बनाने के लिए नई प्रतिबद्धताएं अपनाई गई हैं। सतत कृषि नीति एक्शन एजेंडा और कृषि में इनोवेशन के लिए ग्लोबल एक्शन एजेंडा उन प्रमुख संकल्पों में से एक रहे जो कॉप26 (COP26) में भाग लेने वाले देशों ने लिए।
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इन देशों ने अधिक सतत और कम प्रदूषणकारी बनने के लिए अपनी कृषि नीतियों को बदलने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ खाद्य आपूर्ति की रक्षा के लिए आवश्यक विज्ञान में निवेश करने के लिए नई प्रतिबद्धताएं जताईं। यूनाइटेड किंगडम के कैबिनेट मंत्री और कॉप26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना है और तापमान के लक्ष्य को बरकरार रखना है तो दुनिया को भूमि का स्थाई उपयोग करना होगा और प्रकृति की सुरक्षा व बहाली को ध्यान में रखकर आगे के कदम उठाने होंगे।READ MORE:बड़ी खबर: हसदेव बचाओ यात्रा में टीएस बाबा ने कह दी बड़ी बात, सरकार लक्ष्मण रेखा में रहे, लक्ष्मण रेखा का उलंघन होगा तो…
वहीं ग्लास्गो में चल रहे क्लाइमेट समिट COP26 में अब हसदेव अरण्य को लेकर आंदोलन तेज हो गया। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हित में अब विदेशों में भी आवाज उठाए गए। वहीं छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के जंगलों को कोयला खनन परियोजना में विनाश के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। जिसमें प्रदर्शनकारी तख्ती लेकरत सड़कों पर उतरे और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन करते दिखे।
बता दें कि बीते अक्टूबर महीने के 3 तारीख को छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में फतेहपुर से हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन को लेकर पैदल मार्च शुरू हुआ था. इसमें 30 गांवों के आदिवासी समुदायों के लगभग 350 लोग शामिल हुए, जो अपनी मांगों को लेकर सरगुजा से राजधानी रायपुर पहुंचे और राज्यपाल व मुख्यमंत्री से मुलाकात भी किये थे. जिसमें सीएम भूपेश बघेल ने पदयात्रियों के शिकायतों पर जल्द परीक्षण कराने का आश्वासन दिया था।