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जगन्नाथ पैरों से क्यों लिखता है अपनी आंसरशीट

दिव्यांगता को नहीं होने दिया खुद पर कभी हावी बना औरों के लिए मिसाल

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू की रिपोर्ट-

पखांजुर। अपने अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत तो सुनी होगी। आज हम जिस जगन्नाथ से आपको मिलवाने जा रहे हैं उसके तो हाथ ही नहीं हैं। मगर सलाम है उसके जज्बे को कि 10वीं बोर्ड की परीक्षा (Board Examination)दे रहा ये युवा पैरों से अपनी आंसरशीट (Answersheet) पर लिखता है। दिव्यांग जगन्नाथ देवनाथ खुद पर दिव्यांगता (Divyang,) को हावी नहीं होने दिया।

कौन है ये जगन्नाथ

कांकेर जिला विकासखंड कोयलीबेड़ा के ग्राम प्रेमनगर पीव्ही 34 के निर्धन परिवार, पिता निताई देवनाथ के घर में पैदा हुआ। जगन्नाथ के दोनों हाथ विकसित नहीं हो सके । जगन्नाथ बचपन में तोहफे में मिली कॉपी पुस्तकें कलम ,खिलौने को पैरों से खेलता है। कक्षा 10 वीं की परीक्षा (Examination)  दे रहा है।

पैरों से ही सूई में डालता है धागा

जगन्नाथ सूई को भी अपने पैरों से उठा लेता है। जगन्नाथ अपना पूरा काम अपने पैरो से ही करता है। यहां तक कि भोजन भी पैरों में चमचा फंसाकर करता है। बालक की इस प्रतिभा को देखकर क्षेत्रवासी प्रशासन से उसे एक कृत्रिम हाथ लगवाने की मांग कर रहे । कृत्रिम हाथ लगने के बाद बालक को काम करने में थोड़ी बहुत आसानी होगी।

मदद के नाम पर मिलता है बस ये

जगन्नाथ को प्रतिमाह 300 रु विकलांग पेंशन मिलती है। पंचायत से प्रतिमाह 10 kg चावल मिलता है । इसके पूर्व कलेक्टरों के पास कई बार मदद की गुहार लगाई गई थी।

कालेज के बच्चे करते हैं प्यार

हाईस्कूल सीनियर लेक्चरर प्रवीर कुमार बाला ने बताया कि स्कूल में सभी छात्र. छात्राएं उसे प्यार करते हैं। वह बेंच में बैठकर पढ़ाई करता है। सभी बच्चे उसे सहायता भी करते है । जगन्नाथ का पढ़ाई के प्रति लगाव है । डॉक्टर सुब्रत मल्लिक एमबीबीएस -डेवलापमेंट एनामिलि एक जन्मजात विकार है । ऐसे लाखों करोडों लोगों में एक्के दुक्के केस सुनने में आते हैं। । यह मामला संभवतः गर्भावस्था समय न्यूट्रिशन की कमी में हो सकता है ।

 

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