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छत्तीसगढ़ का बजट : युवाओं किसानों के साथ अभी से 2023 की तैयारी में भूपेश

राज्य के बजट का विश्लेषणात्मक अध्ययन

रायपुर।  प्रसिध्द अर्थशास्त्री  कीन्स ने ‘रोजगार के सामान्य सिद्धांत’ में कहा है कि- ‘एक व्यक्ति द्वारा किया जानेवाला व्यय दूसरे व्यक्ति की आय है।’ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chiefminister Bhupesh Baghel) के नेतृत्ववाली मौजूदा सरकार इन्ही सिद्दांतों को ध्यान में रखकर काम करती रही है और वित्तीय वर्ष 2020-21 के आम बजट का भी यह एक महत्वपूर्ण संदेश है। मुख्यमंत्री द्वारा राज्य विधानसभा (Assembly)  में प्रस्तूत किए गए एक लाख दो हजार नौ सौ सात करोड़ के आम बजट का एक दूसरा संदेश भी बहुत साफ है कि राज्य के मुख्यमंत्री युवाओं और किसानों को साधकर 2023 को फतह करने की तैयारी में अभी से जुट गए है।

 अर्थशास्त्र की भाषा में क्या कहा जाएगा यह बजट

अर्थशास्त्र ( economics) की भाषा में तो भूपेश सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट को असंतुलित कहा जाएगा क्योकि राज्य का सकल वित्तीय घाटा 11 हजार 518 करोड़ अनुमानित है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 3.18 प्रतिशत है। यह गम्भीर है। ना केवल इसलिए क्योकि पिछ्ली सरकार ने 15 साल के कार्यकाल में बजट घाटे को जीडीपी (gdp) के तीन प्रतिशत के अन्दर ही रखा हुआ था बल्कि इसलिए कि बढ़ा हुआ बजट घाटा राज्य की अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए अच्छा नही है।

बजट को सही ठहराते हैं अर्थशस्त्री

राज्य की मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर अर्थशास्त्री इसे इस रूप में सही भी ठहराते है कि- ‘घाटे की वित्त व्यवस्था से लोगों के हाथों में क्रय शक्ति बढ़ जाती है जिसकी वजह से अर्थव्यवस्थ में समग्र मांग में बृद्धि होती है । इससे आगे चलकर रोजगार में बृद्धि होती है और फिर यह सिलसिला चलता है जिसे अर्थशास्त्र की भाषा में गुणक प्रभाव कहते है।’

छत्तीसगढ़ मंदी के असर से दूर

राज्य के सीएम इसी गुणक प्रभाव की बार-बार चर्चा करते हुए कहते है कि राज्य के किसानों की कर्जमाफी और उनके हाथ में 2500 रूपए प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य देने से छत्तीसगढ़ मंदी के असर से दूर रहा है। मौजूदा बजट से भी राज्य में मांग में बृद्धि होगी जो रोजगार सृजन में सहायक होगा।

बड़ी चुनौती से कम नही रहा

भूपेश सरकार के मौजूदा बजट की इस इस रूप में भी सराहना की जानी चाहिए कि बजट में कोई नया करारोपन नही किया गया है। यह करना राज्य के मुख्यमंत्री के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नही रहा होगा क्योकि जब बजट की एक बड़ी राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना पर जा रही है और जीएसटी से राज्य के राजस्व में कमी होने की भी पूरी संभावना है तब भी राज्य सरकार ने राजस्व वृद्धि के लिए कोई नया करारोपन नही किया। अर्थशास्त्र की भाषा में बिना किसी नए कर के बेहतर आय-व्ययक को सर्वाधिक अच्छे बजट की श्रेणी में रखा जाता है क्योकि इससे आम आदमी की जेब पर कोई असर नही पड़ता।

बजट के कौन कौन से उदेश्य

किसी भी बजट के तीन प्रमुख उदेश्य होते है। आर्थिक विकास, आर्थिक स्थायित्व और न्याय एवं कुशलता। ख्यात अर्थशास्त्री प्रो. डाल्टन के ‘अधिकतम सामाजिक लाभ के सिद्धांत’ के अनुसार- ‘लोक वित्त की सर्वोत्तम व्यवस्था वह है जो अपने द्वारा संपादित की जानेवाली कार्यवाहियों के द्वारा अधिकतम सामाजिक लाभ उपलब्ध कराए।’ इस दृष्टिकोण से भूपेश सरकार के बजट में किसान कल्याण, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण समेत सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में प्रावधानित कुल व्यय को देखेंगे, तो यह स्पष्ट होता है कि उपलब्ध संसाधनों के दृष्टिकोण से मुख्यमंत्री ने बजट का उचित आबंटन किया है जिसका परिणाम अधिकतम समाजिक कल्याण के रुप में सामने आने की कल्पना है।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना

बजट में ना केवल किसानों के लिए पांच हजार एक सौ करोड़ रुपए से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की गई है जो किसानों के हाथ में क्रय शक्ति देगा और राज्य की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी बल्कि सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए 1853 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जो राज्य में कृषि के सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने के साथ ही राज्य का सकल कृषि उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक होगा।

क्या हैं इसके सियासी संकेत

किसानों के लिए भूपेश सरकार की घोषणाओं  से परे व्यापक राजनीतिक मायने भी है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना महज एक योजना नही है बल्कि राज्य के किसानों के बीच कांग्रेस की जड़ों को बेहद ही मजबूत तरीके से स्थापित करने की दूरदर्शी सोच भी है, जो 2023 में कांग्रेस की आगामी सम्भावनाओं का सबसे मजबूत किला होगा। राज्य सरकार के इस फैसले से ना केवल धान खरीदी के समय अव्यवस्थाओं की वजह से सरकार के प्रति उपजा असन्तोष खत्म हो जायेगा बल्कि किसानों के मन में सरकार को लेकर एक दृढ़ विश्वास का माहौल भी बनेगा कि मौजूदा सरकार वायदा निभानेवाली सरकार है।

राजीव युवा मितान क्लब योजना

 

मुख्यमंत्री ने बजट में राजीव युवा मितान क्लब योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत राज्य में 15 हजार मितान क्लब के गठन की योजना है। इसके लिए 50 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान है। योजना का उदेश्य बहुत नेक है लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता कि इन क्लबों का राजनीतिक उपयोग होगा। यदि राजनीतिक उपयोग ना भी हो तब भी यदि मौजूदा सरकार राज्य में 15 हजार युवा मितान क्लब का गठन कर लेती है तो ना केवल युवा वर्गों के बीच कांग्रेस सरकार की अच्छी पैठ बन जायेगी. बल्कि राजनीतिक उपयोग होने की स्थिति में यह क्लब बीजेपी और आरएसएस के विभिन्न ईकाईयोँ का मुकाबला करने के लिए भी एक मजबूत आधार होगा।

 

हरेक साल युवा महोत्सव के माध्यम से भी युवाओं को जोड़ने की योजना है। हांलाकि राज्य सरकार से रोजगार और बेरोजगारी भत्ता की आस लगाए बैठे युवा वर्ग को इन योजनाओं से जोड़ना सरकार के लिए किसी चुनौति से कम नही होगा।

 बजट की सराहना की वजह

बजट की सरहाना इस वजह से भी की जानी चाहिए कि बजट के केन्द्र बिंदु में आम आदमी है। सीएम अपने बजट भाषण में कहतें है कि आधुनिकता तथा परंपरा का साम्य हमारे विकास का बुनियादी दर्शन है। हमारा विकास का माडल समवेशी है। लेकिन बात यहीं पर खत्म भी नही होगी। सवाल तो शराबबन्दी को लेकर होगी। आबाज़ तो बेरोजगारी भत्ता को लेकर भी उठाएँ जाएंगे और हंगामा तो संपत्ति कर माफ़ करने समेत उन तमाम वायदों पर भी होगा जो कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने जन घोषणापत्र में किया था। लेकिन यकीं मानिए 2020-21 के बजट में भी किसानों को साधकर भूपेश सरकार प्रदेश के अस्सी फीसदी आबादी को साधने में सफल हो गई है जिसे अपने खेमे में लाना अब बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी।

 

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