
हिमांशु/पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज रायपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपने बेटे चैतन्य बघेल से मुलाकात की। चैतन्य 18 जुलाई को गिरफ्तार हुए थे और अब ED की हिरासत में हैं—जिन्हें 22 जुलाई तक रिमांड पर रखा गया है कोर्ट ने परिवार को 30 मिनट की मुलाकात की अनुमति दी, जिसमें उनकी बेटी और बहू भी मौजूद रहीं
मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में भूपेश बघेल ने कड़ा हमला बोलते हुए कहा-जो भी अडानी के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसका हाल मेरे बेटे जैसा होगा।”यह बयान उन्होंने स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य सरकार—विशेषकर अडानी समूह—पर निशाना साधते हुए दिया
उन्होंने दोहराया कि चैतन्य पर कोई असली मामला नहीं है और यह सिर्फ अडानी के इशारों पर की गई राजनीतिक कार्रवाई है उन्होंने कहा, “हम लड़ाई लड़ते रहेंगे” और अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए कहा, “अगर चैतन्य के दादा आज जीवित होते तो उन पर गर्व करते”
भूपेश बघेल ने यह भी बताया कि चैतन्य की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सबसे पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने फोन कर समर्थन व्यक्त किया प्रियंका गांधी ने ED की कार्रवाई को ‘अदानी के पीछे आवाज दबाने’ की कोशिश बताया और कहा forests handed to Adani थे—भूपेश इसे विधानसभा में उठाना चाहते थे, इसलिए कार्रवाई की गई
इस पूरे घटनाक्रम से छत्तीसगढ़ की राजनीति में तेज हलचल मची है। ED का दावा है कि चैतन्य ने ₹16.7 करोड़ मनी लॉन्डर किए, शेल कंपनी और अंडर-इनवॉइस्ड रियल एस्टेट सौदों के माध्यम से दूसरी ओर, कांग्रेस इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रही है, और 22 जुलाई को आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा कर चुकी है
भूपेश बघेल ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि अडानी‑विरोधी आवाज़ को दबाने की कोशिश है। दूसरी तरफ, ED के वित्तीय आरोप गंभीर हैं। 22 जुलाई के आर्थिक नाकेबंदी से दोनों पक्षों के तर्क अब और मजबूत होंगे। अब देखने वाली बात है कि क्या कांग्रेस इस चुनौती को झुकेगी या ठान कर सामना करेगी।