विशेष रिपोर्टः कर्ज कें भंवर में फंसता छत्तीसगढ़, नई सरकार ने पुरानी सभी सरकारों से ज्यादा लिया कर्ज, हर महीने 460 करोड़ का ब्याज भूगतान

रायपुरः छत्तीसगढ़ राज्य धीरे-धीरे कर्ज के भवंर में फंसता जा रहा है। यही रफ्तार रही तो आनेवाले दिनों में छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति को बेहतर रख पाना संभव नही हो पाएगा। आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पिछली चार सरकारों के कार्यकाल के ज्यादा कर्ज महज चार साल में ले लिए गए। स्थिति यहां तक आ गई है कि राज्य सरकार को अबतक लिए गए कर्ज के एवज में हरेक महीने 460 करोड़ का ब्याज भूगतान करना होता है जो सालाना सात हजार करोड़ रूपए से ज्यादा है।
सरकार पर कर्ज
आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकार पर जनवरी 2023 की स्थिति में 82,125 करोड़ रूपए का कर्ज है जो राज्य के कुल बजट का करीब अस्सी फीसदी हिस्से के बराबर होता है। हांलाकि अभी तक स्थिति अनियंत्रित नही कही जा सकती लेकिन पिछले करीब चार साल में लिए गए कर्ज की रफ्तार को देखें तो आनेवाले दिनों में राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए संकट पैदा सकता है।
आपको बता दे कि पूर्ववर्ती जोगी सरकार से लेकर रमन सरकार के कार्यकाल यानी वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक कुल अठारह साल में छत्तीसगढ़ राज्य के उपर जितना कर्ज था उससे ज्यादा कर्ज पिछले चार साल में हो गया है। आंकड़ों के अनुसार राज्य बनने से लेकर नवंबर 2018 तक छत्तीसगढ़ सरकार पर कुल 50 हजार 685 करोड़ का कर्ज था जबकि मौजूदा सरकार द्वारा एक दिसंबर 2018 से लेकर जनवरी 2023 तक 54 हजार 850 करोड़ का कर्ज लिया गया है।
मौजूदा सरकार में लिया गया कर्ज
मौजूदा सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की बात करें तो जनवरी 2019 से मार्च 2019 तक सरकार द्वारा 10,762.89 करोड़ का कर्ज लिया गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार द्वारा 12,928.86 करोड़, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 17,555.16 करोड़, वर्ष 2021-22 में 10,880.77 करोड़ और वर्ष 2022-23 में जनवरी तक 2364 करोड़ रूपए का कर्ज लिया गया है।
अबतक लिए गए कर्ज की स्थिति
राज्य बनने के बाद से लेकर अबतक विभिन्न सरकार द्वारों कुल 1 लाख 05 हजा 535 करोड़ रूपए का कर्ज लिया गया जिसमें से अबतक 28 हजार 096 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया है और जनवरी 2023 की स्थिति में राज्य सरकार पर 82 हजार 125 करोड़ रूपए का कर्ज है जिसपर सालाना करीब 7222.05 करोड़ रूपए का ब्याज भूगतान संभावित है।
क्या कहते है विशेषज्ञ
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कर्ज लेने की दर चिन्ताजनक है लेकिन अभी चुंकि यह राजकोषीय नीतियों के विरूद्ध नही है और कर्ज लेने की निर्धारित सीमा के अंदर ही है लिहाजा फिलहाल कर्ज से राज्य पर कोई संकट की स्थिति नही होगी और न ही यह वित्तीय अनुशासन का उलंघन होगा। लेकिन यदि कर्ज लेने की यही रफ्तार रही तो भविष्य में कर्ज निर्धारित सीमा से ज्यादा हो जाएगी जो आनेवाले दिनों में राज्य की वित्तीय अनुशासन के भी खिलाफ होगा और प्रदेश की प्रगति को भी बूरी तरह से प्रभावित करेगा।