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डोनल्ड ट्रंप ने दिया कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का प्रस्ताव

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चल रहे कश्मीर विवाद में मध्यस्थता करने का प्रस्ताव दिया है. इस मामले में अमरीका की अब तक की नीति द्विपक्षीय समाधान की थी. इमरान ख़ान से मुलाक़ात के दौरान ट्रंप ने कहा, “अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मुझे मध्यस्थ बन कर ख़ुशी होगी.”

उन्होंने इमरान ख़ान से कहा, “अगर मेरी मदद की ज़रूरत हो तो मुझे बताएं.”

इमरान ख़ान ने कहा, “अमरीका दुनिया का सबसे ताक़तवर देश है और वह उपमहाद्वीप में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकता है. कश्मीर की स्थिति की वजह से एक अरब से अधिक लोग परेशान हैं. मुझे विश्वास है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप दोनों देशों को क़रीब ला सकते हैं.”

इमरान ख़ान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ वार्ता शुरू करने के सभी प्रयास किए हैं लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप इसमें भी भूमिका निभा सकते हैं.

शांति चाहता है पाकिस्तान

इमरान ख़ान के साथ अमरीका यात्रा पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर बजवा और आईएसआई प्रमुख भी गए हैं. ट्रंप के साथ मुलाक़ात में इमरान ख़ान ने कहा, “मैं अपने साथ अपनी सेना के प्रमुखों को भी लाया हूं क्योंकि ज़ाहिर तौर पर हमें सुरक्षा हालातों से भी निपटना है. और हम दोनों देशों के बीच आपसी समझ बनाना चाहते हैं.”

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान इस समय अमरीका के दौरे पर हैं. उनके और राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच पहली सीधी वार्ता व्हाइट हाउस में हुई है. इमरान अमरीका के साथ पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर करने के उद्देश्य से अमरीका पहुंचे हैं. अफ़ग़ानिस्तान में जारी संघर्ष की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में दरार आ गई थी. इमरान ख़ान और ट्रंप के बीच पहली सीधी वार्ता हुई है

राष्ट्रपति ट्रंप ने बीते साल पाकिस्तान को दी जाने वाली अमरीकी सैन्य और आर्थिक मदद को रोक दिया था. उन्होंने पाकिस्तान पर ‘झूठ बोलने और धोखा देने’ के आरोप लगाए थे. वहीं इमरान ख़ान ने कहा था कि अमरीका से पाकिस्तान को जो मदद मिलती है वो अमरीका के आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में जो क़ीमत पाकिस्तान ने चुकाई है उसकी तुलना में कुछ भी नहीं है.

पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही इमरान ख़ान अमरीका और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्तों की वकालत करते रहे हैं. हालांकि वो अमरीकी ड्रोन हमलों की खुली आलोचना भी करते रहे हैं. वहीं ट्रंप प्रशासन अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैन्य बलों की विदाई चाहता है और इसके लिए वो तालिबान से वार्ता भी कर रहा है. अमरीका पाकिस्तान पर चरमपंथी समूह तालिबान की मदद करने के आरोप भी लगाता रहा है.

इमरान ट्रंप की वार्ता में क्या-क्या हुआ?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ट्रंप ने व्हाउट हाउस में इमरान ख़ान से मुलाक़ात के दौरान कहा कि अमरीका पाकिस्तान के साथ मिलकर अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के समाधान पर काम कर रहा है.
ट्रंप ने पाकिस्तान को अमरीकी मदद बहाल करने के संकेत भी दिए. हालांकि ये इस बात पर निर्भर करेगा कि मुलाक़ात के दौरान किन-किन मुद्दों पर सहमति बनी.

ट्रंप ने भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर करने में अमरीकी मदद की पेशकश भी की. इमरान ख़ान ने ट्रंप से कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान का सिर्फ़ एक ही समाधान है और तालिबान के साथ शांति समझौता बहुत नज़दीक है.

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में वो तालिबान को वार्ता जारी रखने के लिए कह सकेंगे. 17 साल से जारी अफ़ग़ान युद्ध को समाप्त करने में अमरीका पाकिस्तान की भूमिका को अहम मानता है. लेकिन दोनों देशों के रिश्ते भी उतार चढ़ाव भरे रहे हैं.

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