
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज प्रदेशभर के शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए। प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे शिक्षक रायपुर के माना स्थित तूता धरना स्थल पर जमा हुए और आज सुबह 10 बजे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया। 23 शिक्षक संगठनों के नेतृत्व में यह आंदोलन दोपहर 2 बजे मंत्रालय घेराव की चेतावनी के साथ तेज़ हो गया।
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में महिला शिक्षकाएं भी मौजूद रहीं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा युक्तियुक्तकरण नीति न तो व्यावहारिक है और न ही शिक्षा के हित में। शिक्षकों ने एक बार फिर से 2008 का शिक्षक सेटअप लागू करने की मांग उठाई है।
2008 के सेटअप को फिर से लागू करने की मांग
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों के अनुसार, 2008 में लागू की गई व्यवस्था में प्राथमिक स्कूलों में कम से कम तीन शिक्षक (60 बच्चों पर), मिडिल स्कूलों में पांच शिक्षक और हाई स्कूल-हायर सेकेंडरी में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति की व्यवस्था थी। कामर्स विषय के लिए दो शिक्षक अनिवार्य माने गए थे, लेकिन मौजूदा युक्तियुक्तकरण में इन ज़रूरी मानकों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है।
शिक्षकों की कमी पर उठाए सवाल
शिक्षक नेताओं ने सवाल उठाया कि हाल के वर्षों में हजारों नई नियुक्तियां और पदोन्नतियां होने के बावजूद प्रदेश में अब भी 212 प्राथमिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक पदस्थ है। इसके साथ ही 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं भी शिक्षक विहीन हैं और 255 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक विहीन स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति के आदेश के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
पदोन्नति और पेंशन पर भी जताई चिंता
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने यह भी मांग की कि वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत शिक्षकों को क्रमोन्नति दी जाए और इसके लिए तत्काल जनरल ऑर्डर जारी किया जाए। साथ ही उन्होंने उन शिक्षकों की पेंशन व्यवस्था पर भी चिंता जताई जो 10 साल से कम सेवा अवधि के कारण शून्य पेंशन पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि ऐसे शिक्षकों की पूर्व सेवा को भी पेंशन लाभ में जोड़ा जाए।
प्रशिक्षित शिक्षकों को मिले उच्च पद
शिक्षकों ने यह भी जोर देकर कहा कि डीएड और बीएड जैसे प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को उच्च पदों पर पदोन्नति दी जाए, जैसा कि भर्ती और पदोन्नति नियमों में उल्लेखित है।
राजधानी रायपुर में शिक्षक संगठनों का यह व्यापक आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चेतावनी है। शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को सामने लाते हुए शिक्षक अब सड़कों पर उतरकर अपने हक और छात्रों के भविष्य दोनों की रक्षा की मांग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इन मांगों पर क्या रुख अपनाती है।