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युक्तियुक्तकरण को लेकर छत्तीसगढ़ में शिक्षकों का उबाल, 28 मई को मंत्रालय घेराव का ऐलान, सीएम साय ने इसे लेकर दिया बड़ा बयान

रायपुर : छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर राज्य भर में शिक्षकों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। इसी क्रम में प्रदेश के 21 शिक्षक संगठनों ने मिलकर 28 मई को मंत्रालय घेराव की घोषणा की है। यह आंदोलन शिक्षक साझा मंच के नेतृत्व में किया जाएगा, जिसका उद्देश्य युक्तियुक्तकरण नीति का विरोध और शिक्षकों की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखना है।

शिक्षक बोले – दूरस्थ तबादलों से पारिवारिक संकट

शिक्षक संगठनों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कई शिक्षकों को दूरस्थ और असुविधाजनक स्थानों पर भेजा जा रहा है, जिससे न केवल उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक परिस्थितियां प्रभावित होंगी, बल्कि शिक्षकों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा।

 

मुख्यमंत्री साय का जवाब – “बच्चों की भलाई प्राथमिकता”

विवाद के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि सरकार ने यह फैसला बच्चों के भविष्य और प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करने के लिए लिया है। उन्होंने कहा:

“प्रदेश के 300 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है, वहीं कई स्कूलों में छात्रों से अधिक शिक्षक तैनात हैं। इस असंतुलन को खत्म करना जरूरी है।”

सीएम ने भरोसा दिलाया कि यह पूरा निर्णय बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि किसी शिक्षक या छात्र के साथ अन्याय नहीं होगा, और सभी बदलाव सोच-समझकर और जनहित में किए जाएंगे।

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क्या है युक्तियुक्तकरण?

युक्तियुक्तकरण एक ऐसी प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसके तहत शिक्षकों की तैनाती को पुनर्संयोजित किया जाता है ताकि सभी स्कूलों में शिक्षक-संख्या का संतुलन बनाया जा सके। इसका उद्देश्य है – जहां जरूरत अधिक हो, वहां शिक्षक उपलब्ध कराना और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करना।

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क्या होगा 28 मई को?

अब सभी की नजरें 28 मई को प्रस्तावित मंत्रालय घेराव पर टिकी हैं, जहां हजारों शिक्षक राजधानी में जुटकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं। यह देखना अहम होगा कि इस विरोध का असर सरकार की नीति पर पड़ता है या नहीं।

एक ओर शिक्षक संगठनों का विरोध है, तो दूसरी ओर सरकार की मंशा है शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की। ऐसे में यह टकराव आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की शिक्षा नीति की दिशा तय कर सकता है।

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