छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाखा, तीज-तिहार से भाजपा को पीड़ा क्यों है – प्रभारी महामंत्री होमेन्द्र साहू
धमतरी। बीजेपी को छत्तीसगढ़ की संस्कृति से इतनी नफरत क्यों हैं। बीजेपी को छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाखा, तीज-त्यौहार से पीड़ा क्यों होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोरे बासी दिवस मनाने का आह्वाहन किया था, ठेठरी, खुरमी, चीला, फरा सहित छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यजन को अलग पहचान दे रहे है। गेड़ी चढ़ते हैं, भंवरा चलाते हैं, रैचूली में झूलते हैं, नदी में डुबकी लगाते हैं, हरेली तिहार, गोवर्धन पूजा करते है, बैल दौड़ का आयोजन करते है, आदिवासी संस्कृति को देश दुनिया के सामने रख रहे है। छत्तीसगढ़ी तीज त्यौहार परंपरा का निर्वहन करते हैं तो बीजेपी उपहास क्यों उड़ाती है।
15 साल के भाजपा शासनकाल में छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति, परंपरा, तीज, त्यौहार को कुचलने का काम किया गया था जिस उद्देश्य से हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना की थी उसमें छत्तीसगढ़ के संस्कृति और परंपरा रहन-सहन खान-पान को भी विश्व स्तर पर एक नई पहचान देना था जो 15 साल के बीजेप शासनकाल में एक प्रकार से नदाने की स्थिति में था।
प्रभारी महामंत्री भखारा होमेन्द्र साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार 1 मई श्रम दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में बोरे बासी दिवस मनाने का निर्णय लिया । इस दिन छत्तीसगढ़ की सुबह का प्रिय भोज बासी खाकर श्रम दिवस में श्रमिकों का सम्मान करें, मेहनत कर किसानों का सम्मान करने की अपील की थी जिसमे सभी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। न केवल मजदूर वल्कि आईपीएस आईएएस सभी ने बोरे बासी का आनंद लिया ।
बीजेपी के नेता अगर बोरे बासी खाते हैं तो उन्हें भी छत्तीसगढ़ के व्यंजन बोरे बासी खाकर श्रमिकों का सम्मान करना चाहिए था और बीजेप से जुड़े लोग नहीं खाना चाहते यह उनके विवेक पर निर्भर करता है लेकिन छत्तीसगढ़ के खान-पान, रहन-सहन, परंपरा तीज त्यौहार का विरोध नहीं करना चाहिए। बीजेप से जुड़े हुए लोग संघी संस्कृति का हिस्सा बनकर अपने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भूलने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी परंपराओं तीज तिहार के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल गए है।
होमेन्द्र साहू ने बताया कि जहाँ रोजगार की बात की जाए तो देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष से दूसरे स्थान पर है। बीते दिनों सीएमआईई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 0.6 फीसदी दर्ज किया गया है, जो राज्य के इतिहास में अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर है। जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर का आँकड़ा मार्च के मुक़ाबले 0.9 फ़ीसदी बढ़कर 7.8 फीसदी पर जा पहुँचा है। राष्ट्रीय आंकड़ों को देखें तो अप्रैल में शहरी क्षेत्रों में 9.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों का आंकड़ा 7.2 फीसदी है।
इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य के लिए बनाई गई नीतियों की वजह से छत्तीसगढ़ ने यह उपलब्धि हासिल की है। यहां राज्य में नवाचार हुए, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए और हर हाथ को काम मिला। सीएमआईई द्वारा 1 मई 2022 को बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी किए । उन्होंने बताया कि भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ में रोजगार मिशन की शुरुआत की गई है। इसके तहत अगले पांच साल में राज्य में 12 से 15 लाख नए रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। रोजगार मिशन राज्य के युवाओं के लिए नई उम्मीद के तौर पर है। साथ ही यह भी उम्मीद है कि रोजगार मिशन छत्तीसगढ़ के विकास की नई इबारत लिखेगा।