
रायपुरः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों और विचारों को लेकर समाज और राजनीति में खूब चर्चा होती है लेकिन हमारा दूर्भाग्य है कि भारत के राजनीतिक दल और सरकारें गांधी के विचारों को कभी आत्मसात नही कर सकी। राजनेताओं ने गांधी के विचारों और आदर्शों के नाम पर राजनीति तो खूब की लेकिन चंद राजनेताओं को छोड़कर बहुसंख्यक राज नेताओं के निजी जीवन से लेकर उनकी सरकार तक में गांधी के विचारों की हत्या की गई। उनके आदर्शों को ताक पर रख दिया गया। गांधी के इन सात प्रमुख विचारों के आधार पर आप खूद तय कर लीजिए की आपकी सरकार और आपके नेता कितने गांधीवादी हैं।
1. कितनी सत्यवादी है आपकी सरकारः गांधी जी ने सत्य के प्रयोग में कहा हैः- “मेरे लिए सत्य सर्वोच्च सिद्धांत है, जिसमें अनेक सिद्धांत समाविष्ट हैं। यह सत्य केवल वाणी का सत्य नहीं है अपितु विचार का भी है, और हमारी धारणा का सापेक्ष सत्य ही नही अपितु निरपेक्ष सत्य, सनातन सिद्धांत, अर्थात ईश्वर है।”प्रभू.आर.के व राव यू.आर, महात्मा गांधी के विचार, पृष्ठ-39.
2. कितनी अहिंसक है आपकी सरकारः- गांधी जी ने सत्य के प्रयोग में कहा हैः- “मैं केवल एक मार्ग को जानता हूः अहिंसा का मार्ग। हिंसा का मार्ग मेरी प्रकृति के विरूद्ध है। राज्य उन लोगों के विरूद्ध बहुत अधिक हिंसा का व्यवहार न करे जो उनसे सहमत नहीं हैं। अहिंसा पर आधारित स्वराज में कोई किसी का शत्रु नही होता। ऐसी सरकार में जुआ, शराब, अनैतिकता और वर्ग-द्वेष के लिए कोई स्थान नही होता। ” यंग इंडिया.11.10.1928, पृष्ठ-342.
3. कितना सर्वोदयी है आपकी सरकारः- गांधी जी ने सत्य के प्रयोग में कहा हैः- “ हमें दुनिया से जो कुछ चाहिए, वह पहले हम दुनिया के दीनतम व्यक्ति को उपलब्ध कराएं। सभी व्यक्तियों को समान अवसर मिलना चाहिए। अवसर मिले तो प्रत्येक व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास की एक जैसी संभावना है। ”हरिजन,17.11.1946. पृष्ठ-404.
4. कितनी न्यायप्रिय है आपकी सरकारः- गांधी जी ने सत्य के प्रयोग में कहा हैः- “ आर्थिक समानता अहिंसक स्वाधीनता की सर्वकुंजी है।..मेरी योजना के तहत राज्य का कर्तव्य होगा कि वह जनता की इच्छा को कार्यान्वित करे, यह नही कि जनता पर हुकुम चलाए या उससे बलपूर्वक अपनी इच्छा का पालन कराए। मैं घृणा के स्थान पर प्रेम की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लोगों को अपने दृष्टिकोण से सहमत करूंगा और इस प्रकार अहिंसा के जरिए समानता लाउंगा। ” प्रभू.आर.के व राव यू.आर, महात्मा गांधी के विचार, पृष्ठ-257.
5. कितनी स्वराजी है आपकी सरकारः- गांधी जी ने हैः- “ मेरे सपनों का स्वराज गरीबों का स्वराज है। जीवन की अनिवार्य वस्तुएं उन्हें भी उसी प्रकार उपलब्ध होनी चाहिए जिस प्रकार राजाओं और धनवानों को उपलब्ध है।….हम अपने विरोधी के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें और यदि हम उसे स्वीकार न कर पाएं तो उसका उसी प्रकार पूरी तरह सम्मान करें जिस प्रकार हम चाहते हैं कि वह हमारे दृष्टिकोण का करे। यह स्वस्थ सार्वजनिक जीवन की एक अपरिहार्य कसौटी है और इसलिए स्वराज के लिए भी आवश्यक है। ”यंग इंडिया.17.4.1924, पृष्ठ-170.
भाषा को लेकर गांधी जी ने हरिजन, 25.08.1946 के पृष्ठ संख्या284 पर लिखा हैः- आज अंग्रेजी निर्विवाद रूप से विश्वभाषा है। अतः मैं इसे स्कूल स्तर पर तो नही पर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में वैक्लपिक भाषा के रूप में द्वितीय स्थान पर रखूंगा। वह कुछ चुने हुए लोगों के लिए ही हो सकती है- लाखों के लिए नही…यह हमारी मानसिक दासता है जो हम समझते हैं कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम नही चल सकता। मैं इस पराजयवाद का समर्थन कभी नही कर सकता।
शराब को लेकर गांधी जी ने यंग इंडिया.08.06.1921 के पृष्ठ-181 पर लिखे अपने लेख में कहा हैः- आप इस खुशनुमा दलील के धोखे में न आएं कि भारत को जबरन अमद्यप नहीं बनाया जाना चाहिए और जो लोग पीना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए सुविधाएं उपलब्ध की जानी चाहिए। राज्य का काम लोगों के दुर्गुणों के लिए व्यवस्था करना नही है। हम बदनाम कोठों का नियमन नहीं करते, न उन्हें लाइसेंस जारी करते हैं। हम चोरों को चोरी करने के लिए सुविधाएं प्रदान नही करते। मैं शराबखोरी को चोरी या शायद वेश्यावृति से भी अधिक निंदनीय मानता हूं।
उपरोक्त प्रमुख कसौटियों पर रखकर देख लीजिए की गांधी-गांधी करनेवाली आपकी सरकार गांधी के विचारों और आदर्शों को कितना आत्मसात कर पाई है और कितनी गांधीवादी है आपकी सरकार।