छत्तीसगढ़ में विकास के दावों को खुली चुनौती : आज़ादी के बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित ये गांव

बलरामपुर : छत्तीसगढ़ सरकार जहां सुशासन तिहार के तहत गांव-गांव में शिविर लगाकर जनता की समस्याओं का समाधान करने का दावा कर रही है, वहीं बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले नहलूपारा गांव की हकीकत इन दावों पर सवाल खड़े करती है।
चटनीय ग्राम पंचायत में स्थित यह गांव आज़ादी के सात दशक बाद भी बिजली, सड़क, पानी और आंगनबाड़ी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
बिना बिजली, बिना पानी, बिना उम्मीद
करीब 60 घरों और 200 से ज्यादा की आबादी वाला यह गांव रात में अब भी डिबरी की रोशनी में जीता है। ग्रामीणों को पीने के लिए नदी-नाले का पानी इस्तेमाल करना पड़ता है। यहां तक कि बच्चों की पढ़ाई और महिलाओं के पोषण के लिए जरूरी आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं है।
नेता आते हैं, वादे करते हैं, फिर भूल जाते हैं
चुनाव के समय नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वादों की झड़ी लगाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वे नज़र नहीं आते। ग्रामीणों ने कई बार जन समस्या निवारण शिविरों में अपनी शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन किसी भी समस्या का व्यवहारिक समाधान नहीं निकला।
आंगनबाड़ी नहीं, तो बच्चों का भविष्य कहां?
सरकार लगातार कुपोषण मिटाने और बच्चों के मानसिक विकास की बात करती है, लेकिन नहलूपारा में आज तक आंगनबाड़ी की शुरुआत तक नहीं हुई। ग्रामीणों का सवाल है, “जब आंगनबाड़ी ही नहीं होगी, तो हम अपने बच्चों को पढ़ाई और पोषण कैसे देंगे?”
अधिकारी नहीं आते, आवेदन धरे रह जाते हैं
नहलूपारा गांव कुसमी जनपद पंचायत के अधीन आता है, जिसकी जिम्मेदारी जनपद पंचायत सीईओ अभिषेक पांडे के पास है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि आज तक कोई अधिकारी गांव में नहीं आया। सीईओ को बार-बार आवेदन और शिकायतें भेजने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।