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लोकतंत्र सेनानियों को मिलेगा अब राजकीय सम्मान, आपातकाल स्मृति दिवस पर CM विष्णुदेव साय की ऐतिहासिक घोषणा

 

रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। उन्होंने यह बात आज मुख्यमंत्री निवास में आयोजित आपातकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम में कही। मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा और संघर्ष को देश की अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने का आह्वान करते हुए कहा कि आपातकाल का इतिहास एक चेतावनी है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।

लोकतंत्र सेनानियों को मिलेगा राजकीय सम्मान

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अब राज्य में लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी, और उनके परिजनों को ₹25,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अलावा विधानसभा में एक अधिनियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में कोई सरकार इस योजना को बंद न कर सके।

 

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पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना

सीएम साय ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान राशि की योजना को बंद कर दिया था, और पिछले पांच वर्षों की बकाया राशि भी नहीं दी गई थी। वर्तमान सरकार ने न केवल योजना को पुनः शुरू किया, बल्कि बकाया राशि का भी भुगतान किया।

आपातकाल: लोकतंत्र पर हमला

मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 जून 1975 भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन था। हजारों लोगों को बिना अपराध के जेलों में बंद कर दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। मुख्यमंत्री ने साझा किया कि उनके स्वर्गीय बड़े पिताजी नरहरि प्रसाद साय भी 19 महीने जेल में रहे थे।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जो अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की याद दिलाता है। उन्होंने पार्श्व गायक किशोर कुमार का उदाहरण देते हुए बताया कि सरकारी प्रचार गीत गाने से इनकार करने पर उनके गीतों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

‘वो 21 महीने: आपातकाल’ पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर कई लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया।

 

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डॉ. रमन सिंह और अन्य नेताओं का संबोधन

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने आपातकाल को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि देश को एक विशाल जेल में तब्दील कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सभी स्तंभ निष्क्रिय कर दिए गए थे, और यह समय था जब देश आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय उन सेनानियों को जाता है जिन्होंने अपार कष्ट सहकर भी संविधान की आत्मा की रक्षा की।

कार्यक्रम को पवन साय, सच्चिदानंद उपासने, और लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, विधायक मोतीलाल साहू, संजय श्रीवास्तव, अमरजीत छाबड़ा, नन्द कुमार साहू सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन उपस्थित थे।

 

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