कैलाशपुरी में चला निगम का बुलडोजर, प्रभावितों ने खुले आसमान के नीचे गुजारी रात… बड़े नेता के इशारे पर कार्रवाई का लगाया आरोप

रायपुर। रायपुर में मंगलवार शाम नगर निगम और राजस्व विभाग के अधिकारी भारी भरकम अमले के साथ कैलाशपुरी महाराजबंद तालाब सड़क के किनारे बने तीन मकानों को तोड़ने पहुंचे. यहां अधिकारियों और मकान मालिकों के बीच जमकर खींचतान हुई. प्रशासनिक अमले ने देर शाम तक तीनों मकानों को ढहा दिया, लेकिन जो घटनाक्रम हुआ उसके बाद मकान मालिक अधिकारियों पर मनमानी पर आरोप लगाने लगे.
असल में कार्रवाई की शुरुवात से मकान मालिक जमीन को निजी बता कर कोर्ट की सुनवाई तक कार्रवाई रोकने की मांग कर रहे थे, जबकि अधिकारी जमीन को शासकीय बताते रहे.
इस बीच भाजपा के पूर्व नेता विरेंद्र पांडे और कांग्रेसी नेता कन्हैया अग्रवाल मौके पर पहुंचे और रात की बजाए अगले दिन कार्रवाई की मांग लेकर मकान के दरवाजे पर बैठ गए. जिसके बाद पुलिस ने विरेंद्र पांडे को पकड़ कर कार में बिठाया और मौके से दूर ले गए. इस बीच मकान मालिकों ने हाईकोर्ट में अरजेंट हियरिंग के लिए याचिका लगाई जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया, साढ़े नौ बजे कोर्ट ने मकान मालिकों को राहत देते हुए 7 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई तक कार्रवाई पर रोक लगा दी. लेकिन इस बीच निगम की टीम अपना काम कर चुकी थी, तीनों मकान ढहा दिए गए थे. सरकारी वकील से पुष्टि होने के बाद अधिकारी मशीन और अमला लेकर लौट गए. लेकिन मकान टूटने के बाद के परिवार के लोग खुले में रात गुजारने को मजबूर हो गए हैं. साथ ही मकान से निकाला गया समान मैदान में ही पड़ा है. जिससे सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है.
वहीं प्रभावितों का आरोप है कि बड़े नेता के इशारे पर कार्यवाही हो रही है. उनके अवैध कब्जे को बचाने के लिए हमारे मकान को निशाना बनाया जा रहा है और दबाव में कार्यवाही कराई जा रही है.
प्रभावितों के आरोप को लेकर नगर निगम के अपर आयुक्त अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि कार्यवाही रात में नहीं सुबह से ही शुरू की गई थी. इनके विरोध के चलते ही काम में देरी हुई है. तोड़फोड़ करते तक रात हुई है. वही कोर्ट के आर्डर को लेकर कहा कि हमारी कार्रवाई शुरू करने के बाद कोर्ट के ऑर्डर जैसे ही हमें सरकारी वकील के माध्यम से मौखिक पता चला तो हम कार्यवाही तुरंत रोक दिए और अमला वापस भेज दिए।