संत कबीर दास मध्यकाल के सबसे क्रांतिकारी कवियों में से एक थे- द्वितेंद्र मिश्रा

अम्बिकापुर। आज भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के द्वारा संत कबीर आश्रम में संत कबीर दास जी की जयंती मनाई गई इस अवसर पर मुख्य अतिथि कांग्रेस प्रदेश महामंत्री एवं संत कबीर आश्रम के संरक्षक द्वितेंद्र मिश्रा का स्वागत भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के पदाधिकारियों के द्वारा किया गया। द्वितेंद्र मिश्रा के द्वारा वहां उपस्थित बड़ी संख्या में आए समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि संत कबीर दास मध्यकाल के सबसे क्रांतिकारी कवियों में से एक थे, उन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त रूढि़यों और आडंबरों का विरोध करते हुए तत्कालीन समाज को सही दिशा दिखाने का प्रयास किया।
संत कबीरदास ने तत्कालीन समाज में व्याप्त जाति प्रथा,धार्मिक आडंबर, ऊंच-नीच, हिदू-मुस्लिम आदि के भेदभाव को हटाकर मानवतावादी दर्शन की स्थापना पर बल दिया कबीरदास जी के दोहे बहुत सुंदर और सजीव हैं, उनकी रचनाएं जीवन के सत्य को प्रदर्शित करती हैं. भक्तिकाल के कवि संत कबीरदास की रचनाओं में भगवान की भक्ति का रस मिलता है. कबीरदास जयंती पर उन्होंने कुछ दोहे पढ़ें-
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय।।
साथ ही उन्होंने बताया कि सरगुजा महाराज टीएस सिंह देव के द्वारा कबीर आश्रम के निर्माण कार्य हेतु दस लाख रुपए तक कार्य कराने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। इसी कड़ी में आगे समाज के लोगों के द्वारा पूजा आरती एवं गुरु दीक्षा दी गई इसके पश्चात प्रसाद भंडारा का वितरण किया गया। इस अवसर पर एल्डरमैन पप्पन सिन्हा,संत कबीर आश्रम के सदस्य नरेंद्र भानु विश्वकर्मा, जिलाध्यक्ष शोबिन दास,नगरी अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद,महंत अंजोर दास, रघुनाथ दास, वेद प्रकाश, बृजलाल आदि समाज के वरिष्ठ जन उपस्थित हुए।