जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, लिया यह बड़ा एक्शन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिला जेलों में पुरुषों के प्रवेश पर रोक के बावजूद देशभर की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया है। मामले में जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के बाद अब प्रत्येक जिले में महिला कैदियों की सुरक्षा और स्थिति को देखने वाली मौजूदा कमेटी में एक महिला न्यायिक अधिकारी भी शामिल करने का आदेश जारी किया है।
कमेटी में महिला जेलों की अधीक्षक को भी शामिल किया जाएगाष कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद पिछले आदेश के आधार पर कमेटी गठित करने का निर्देश दिया और कहा, नई जेल स्थापित करने और मौजूदा जेलों में सुविधाओं का विस्तार करने के लिए आवश्यक कदमों के सिलसिले में विशेष रूप से जेल में बंद महिलाओं के पहलुओं को पर्याप्त तरजीह दी जाए। इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से सुझाव लिया जाए। इतनी कवायद पूरी करने के बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
दरअसल, जेलों में भीड़भाड़ से निपटने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश की जेलों से जोड़कर मामले में संज्ञान लिया था। इसमें आठ फरवरी को पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने का मुद्दा कलकत्ता हाईकोर्ट में उठाया गया था। उसके बाद इस मामले को आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली खंडपीठ को ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया। इस मामले में कोर्ट में नियुक्त एमाइकस क्यूरे (न्याय मित्र) ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हुई हैं। उन महिला कैदियों के बच्चे 196 विभिन्न सुधार गृहों में पल रहे हैं।