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शराब पर फिर गरमाई सियासत: नई दुकानों के फैसले से सियासी भूचाल, कांग्रेस ने सरकार को घेरा, बीजेपी ने किया पलटवार

 

रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर शराब के मुद्दे पर गर्मा गई है। सत्ता में आने से पहले शराबबंदी का वादा कर वोट मांगने वाली पार्टियां अब एक-दूसरे पर खुलकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। हाल ही में प्रदेश में 67 नई शराब दुकानों के प्रस्ताव ने विपक्ष और आमजन के बीच नाराजगी की लहर पैदा कर दी है। कांग्रेस ने इसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को घेरा है, वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार कर सियासत करने का आरोप लगाया है।

शराबबंदी से सत्ता तक और अब नई दुकानें…

चुनावों के वक्त हर पार्टी जनता के सामने शराबबंदी को बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करती रही है, लेकिन सत्ता में आते ही ये वादे फाइलों में ही सिमट जाते हैं। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी शराबबंदी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी। अब भाजपा सरकार के डेढ़ साल पूरे होते-होते प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या में इजाफा और आबकारी नीति में बदलाव ने विपक्ष को एक बार फिर हमलावर बना दिया है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मुद्दे पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “शराबबंदी केवल चुनावी स्टंट था। अब सरकार की शह पर गली-गली में कोचिए शराब बेच रहे हैं। नकली शराब, नकली होलोग्राम और बाहरी राज्यों की शराब खुलेआम बिक रही है। किराना दुकानों में भी शराब बेची जा रही है। ये सरकार शराब बेचने वालों की ढाल बन गई है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची। जांच कौन करेगा? जब केंद्रीय एजेंसियां भी उन्हीं के अधीन हैं।”

बीजेपी का पलटवार: ‘जनता की मांग पर खुल रहीं दुकानें’

कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा, “हमने शराबबंदी का कोई वादा नहीं किया था। शराब दुकानों को जनता की मांग और स्थानीय जरूरतों के आधार पर खोला जा रहा है। कांग्रेस के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा, इसलिए वे शराब के नाम पर झूठी सियासत कर रहे हैं।”

जनता में नाराजगी, विपक्ष की चेतावनी

प्रदेश के कई जिलों में नई शराब दुकानों को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। वहीं, सरकार इसे महज विपक्ष की हताश राजनीति बता रही है।

अब निगाहें सरकार के अगले कदम पर

शराब, एक ऐसा मुद्दा जो प्रदेश की हर सरकार के लिए चुनौती बना है। अब जब विपक्ष खुलकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में है और जनता में भी नाराजगी दिख रही है, तो सवाल उठता है – क्या सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी? या फिर राजनीति के इस नशे में जनभावनाओं की कड़वाहट और गहरी होती जाएगी?

 

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