
कवर्धा। पंडरिया विकाशखण्ड के ग्राम पंचायत सोमनापुर (पुराना)में कोरोना वायरस covid-19 के संक्रमण से बचाव हेतु संचालित अस्थायी राहत शिविर के नाम पर फर्जी बिल लगाकर राशि गबन करने का सनसनी मामला सामने आया है । मजदूरों के लिए ग्राम पंचायत सोमनापुर पुराना में प्राथमिक शाला भवन को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था जिसकी संचालन एजेंसी सरपंच ग्राम पंचायत था , जहां पर कुल 12 मजदूर रुके हुए थे। मजदूरों को आवासीय व्यवस्था करने के साथ ही 15 दिन तक वहां रखने का प्रावधान भी शासन के द्वारा किया गया था। मजदूरों के आवासीय व्यवस्था में सरपंच के द्वारा सारे नियम कायदों को ताक में रखकर राशि का उपयोग करने के बजाय दुरुपयोग किया गया है।
बिना फोन नम्बर का बिल
सरपंच ग्राम पंचायत सोमनापुर पुराना के द्वारा अलग अलग कुल आठ बिल राज किराना स्टोर के नाम से लगाया है जिसमे चावल 7.59 क्विंटल , दाल 1.82 क्विटल ,सोयाबीन बड़ी 0.80 क्विटल , आलू 3.27 क्विटल , मटर 1.04 क्विटल और तेल 48 लीटर खरीदी किया है । बिल में संबंधित दुकानदार का मोबाइल नम्बर , टिन नम्बर , जी एस टी नही है । जो शासन के नियमो के विपरीत है ।
गड्ढा के नाम पर राशि आहरण
शासन के द्वारा सार्वजनिक भवनों सहित विद्यालय भवन शौचालय बनाने के निर्देश जारी किए हैं और सभी जगह रहता भी है। सोमनापुर के सभी विद्यालय पहले से ही शौचालय बना हुआ है लेकिन शौचालय के नाम पर गड्ढा कार्य के नाम का एक कम्प्यूटर से बिल प्रिंट कर बहोरिक अनन्त को दो हजार रुपये भुगतान का फर्जी बिल लगाकर भुगतान किया गया है।
अपने पुत्र के नाम पर बिल
पंचायतीराज अधिनियम 1993 के तहत कोई भी पंचायत पदाधिकारियों के द्वारा स्वयं या रिश्तेदारों को किसी प्रकार का लाभ नही पहुचाने का प्रावधान है. लेकिन सरपंच के द्वारा अपने पुत्र के नाम से कम्प्यूटर से बिल प्रिंट कराकर राजेश टेंट हाउस के नाम पर 6500+6500=13000 रुपये का फर्जी भुगतान किया है. जबकि गांव में इस नाम से किसी भी प्रकार का कोई टेंट हाउस , फर्म नहीं है साथ कि सरपंच के द्वारा अपने पुत्र के नाम पर ही राजेश ट्रांसपोर्ट के नाम का 5000 रुपये का बिल लगाकर भी भुगतान किया है। जबकि उनके पास किसी भी प्रकार का कोई वाहन नहीं है ।
बारह मजदूरों पर लाखों का व्यय
सोमनापुर पुराना के अस्थायी क्वारंटाइन सेंटर में कुल 12 मजदूरों रुके हुए थे। सरपंच -सचिव के द्वारा 12 मजदूरों के लिए एक लाख बीस रुके हुए हजार आठ सौ व्यय किए हैं जो भारी आर्थिक अनियमितता के श्रेणी में आता है । सरपंच -सचिव पंचायतीराज अधिनियम 1993 के नियमो को भी भूल गए । सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से करने की मन बना लिए है ।