दोषियों की रिहाई को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिलकिस बानो, CJI बोले- करेंगे विचार

नई दिल्ली। बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों की जेल से रिहाई का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिका दायर कर सभी दोषियों की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है। वहीं मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील अपर्णा भट की दलीलों पर ध्यान दिया। इसके बाद अदालत याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमत हो गई।
इस बीच बिलकिस बानो केस की जांच करने वाले रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी विवेक दुबे ने कहा कि 14 साल के बाद 11 दोषियों की रिहाई ने दिखाया है कि उनमें सुधार आ गया था। इसके साथ ही उन्होंने दोषियों की रिहाई का विरोध करने वालों पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना संविधान की भावना के खिलाफ है।
दरअसल, मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को हत्या और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक समय तक जेल में सेवा की, जिसके बाद उनमें से एक ने अपनी समयपूर्व रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को उसकी सजा की छूट के मुद्दे को 1992 की नीति के अनुसार उसकी दोषसिद्धि की तारीख के आधार पर देखने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सरकार ने एक समिति का गठन किया और सभी दोषियों को जेल से समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया।
जानें क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और इसी दंगे के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिलकिस बानो, जो उस समय पाँच महीने की गर्भवती थी, के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसके परिवार के सात सदस्यों को दंगाइयों ने निर्मम हत्या कर दी।