
बिलासपुर : सागौन की इमारती लकड़ी ले जा रही एक पिकअप वाहन को पुलिस ने मंगलवार को जांच के दौरान रोका। वाहन में महंगी लकड़ी से बना दरवाजा लदा था, जिसे ड्राइवर ने डिप्टी रेंजर सूरज मिश्रा के मकान के लिए ले जाने की बात कही। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने वाहन और ड्राइवर को हिरासत में लेकर चौकी पहुंचाया, लेकिन बाद में दस्तावेज दिखाने पर वाहन और लकड़ी छोड़ दी गई।
पुलिस जांच के दौरान मिली लकड़ी
चौकी प्रभारी संजीव सिंह के अनुसार, वाहनों की रूटीन जांच के दौरान पुलिस को पिकअप में संदिग्ध लकड़ी मिली। तस्करी की आशंका पर वाहन को जब्त कर चौकी लाया गया। पूछताछ में ड्राइवर ने बताया कि दरवाजा सोंठी में पदस्थ डिप्टी रेंजर सूरज मिश्रा के लिए ले जा रहा है।
दस्तावेज लेकर पहुंचे डिप्टी रेंजर
जानकारी मिलते ही डिप्टी रेंजर सूरज मिश्रा खुद चौकी पहुंचे और दस्तावेज पेश किए। उन्होंने बताया कि मकान निर्माण के लिए दरवाजा खरीदा गया है। पुलिस ने दस्तावेजों की जांच कर वाहन और लकड़ी उन्हें सौंप दी।
अहम सवाल अब भी अनुत्तरित
हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई पर अब कई सवाल उठ रहे हैं:
- लकड़ी की खरीदी कहां से हुई?
दस्तावेज तो दिखाए गए, लेकिन यह जांच नहीं हुई कि लकड़ी कहां से खरीदी गई और किसने बेची। - ड्राइवर के पास दस्तावेज क्यों नहीं थे?
जब वाहन में महंगी इमारती लकड़ी थी, तो ड्राइवर के पास आवश्यक कागजात होने चाहिए थे, ताकि शक की कोई गुंजाइश न रहे। - सिर्फ एक हजार का भाड़ा?
ड्राइवर के अनुसार, उसे सोंठी से बिलासपुर तक लकड़ी पहुंचाने के लिए सिर्फ एक हजार रुपये मिलने थे। इतनी कम राशि में महंगी लकड़ी की ढुलाई भी सवाल खड़े करती है।
कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
पुलिस और वन विभाग की इस जल्दबाज़ी में निपटाई गई कार्रवाई को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या आम नागरिक के साथ भी इतनी ही सहजता से मामला निपटाया जाता? या डिप्टी रेंजर का पद प्रभावी रहा?