छत्तीसगढ़बड़ी खबर

मानवाधिकार संरक्षण और आर्थिक सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरा संबंध : न्यायमूर्ति दत्तू

छत्तीसगढ़ मेंं पहली बार हुआ कैंप सीटिंग एवं जनसुनवाई का आयोजन

रायपुर। मानवाधिकार संरक्षण और आर्थिक सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरा संबंध है। गुरुवार को ये बातें राष्ट्रीय मानवाधिका आयोग (Human Rights Commission) के अध्यक्ष न्यायमूत्रि एच एल दत्तू ने अपने संबोधन में रायपुर सिविल लाइन के न्यू सर्किट हाउस में कही। वे यहां कैंप सीटिंग एवं जन सुनवाई(Jansunwa) कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि मानवाधिकार संरक्षण और आर्थिक सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए बुनियादी सुविधाओं के लिए ठोस कार्य धरातल पर दिखें।

मानवा अधिकार संरक्षण और आर्थिक सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गहरा संबंध : न्यायमूर्ति दत्तू

खुली जनसुनवाई में न्यायमूर्ति ने कही ये बात:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने कहा कि मानवाधिकारों का हनन नहीं हो इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि इस खुली सुनवाई का उद्देश्य पीड़ित और राज्य सरकार के अधिकारियों को एक मंच पर लाकर मानवाधिकारों हनन के प्रकरणों का त्वरित निदान करना है।

नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हो संरक्षण:

न्यायमूर्ति दत्तू ने आगे कहा कि ऐसा वातावरण निर्मित हो, जिससे सभी नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का संरक्षण हो और वे संविधान में प्रदत्त मानवाधिकारों का उपभोग कर सके। उन्होंने बताया कि कैम्प सीटिंग के माध्यम से प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाती है और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा भी की जाती है। शिविरों के माध्यम से मानवाधिकार एक्ट 1993 के तहत मानव अधिकार हनन के प्रकरणों को सुनने और निराकृत करने का अवसर मिलता है।

मूलभूत सुविधाओं पर दिया जोर:

न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए बुनियादी सुविधाओं-शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, स्वच्छता के विकास पर विशेष जोर दिया। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि आयोग का उद्देश्य मानव अधिकार के प्रकरणों की सुनवाई कर न्याय दिलाना है। आम लोगों को उनके मूलभूत अधिकार मिले, स्कूल ठीक से संचालित हो, आंगनबाड़ी प्रभावी ढंग से कार्य करें, लोगों को स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया हो। आयोग राज्य में विशेषकर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के प्रकरणों की सुनवाई करेगा।

पहली बार हो रही है खुली जनसुनवाई: प्रभारी सचिव

प्रभारी मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की फुल बेंच एवं सिंगल बेंच द्वारा एक साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित शिकायतों की खुली जनसुनवाई की जा रही है। इसका लाभ पीड़ित पक्षों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन वर्गाें से संबंधित प्रत्येक प्रकरणों को आयोग के समक्ष रखने और उनके निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार यह अवसर मिला है।

राज्य शासन के कार्यों की दी जानकारी:

प्रभारी सचिव जैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है। प्रदेश के 150 में से 85 विकासखण्ड अनुसूचित जनजाति के है। राज्य में इन वर्गाें की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। राज्य सरकार (Chhattisgarh Government,)द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को गर्म भोजन प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में साप्ताहिक हाट बाजारों में चिकित्सकों की टीम द्वारा स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा रही है। शहरी क्षेत्रों के स्लम एरिया में भी घर पहुंच चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है। वनांचल क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाकर हर व्यक्ति की जांच कर उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में गरीबी रेखा का स्तर राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाने के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से मिशन मोड़ पर काम कर रहे हैं।

ये लोग रहे कार्यक्रम में मौजूद:

कैम्प सीटिंग के उद्घाटन अवसर पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सदस्य ज्योतिका कालरा, सदस्य डाॅ. डी.एम. मूले, राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एम.पी. सिंघल, सदस्य गिरधारी लाल नायक, सेक्रेटरी जनरल डाॅ. प्रभात सिंह, रजिस्ट्रार सूरजीत डे, एन.सी. सांखला, पुलिस महानिदेशक डी. एम. अवस्थी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और जिलों के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक उपस्थित थे।

 

Tags

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close