
बिलासपुर : शहर में एक बार फिर कोरोना वायरस का संक्रमण लौट आया है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही अब भी बरकरार है। पिछले एक सप्ताह में 10 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। सबसे गंभीर बात यह है कि संक्रमितों में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और यहां तक कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय भी शामिल हैं।
एक ही दिन में मिले चार मरीज
शुक्रवार को चार नए कोरोना संक्रमित सामने आए, जिनमें एक 8 वर्षीय बच्ची, एक किशोरी और 86 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल हैं। यह संकेत है कि संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल सकता है।
हाईकोर्ट के जस्टिस भी संक्रमित
कोरोना संक्रमितों में सबसे चौंकाने वाला नाम हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय का है। वे हाल ही में एक टूर से लौटे थे। इसके बावजूद न तो कोई स्क्रीनिंग की गई और न ही कोई निगरानी रखी गई।
अब सवालों के घेरे में प्रशासन
5 जून को स्वास्थ्य विभाग ने मॉकड्रिल कर दावा किया था कि शहर में कोई एक्टिव मरीज नहीं है, लेकिन अब यह दावा पूरी तरह से झूठा साबित हुआ है। संक्रमण के मामलों की पुष्टि ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक ही परिवार के तीन सदस्य संक्रमित
शहर के मोपका इलाके में एक ही परिवार के तीन सदस्य—पिता, बेटा और बेटी—संक्रमित पाए गए हैं। ये लोग हाल ही में पुरी यात्रा से लौटे थे, लेकिन ना कोई स्क्रीनिंग हुई, ना होम आइसोलेशन और ना ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई।
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नोडल अधिकारी की लापरवाही पर नाराज़ सीएमएचओ
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. सुरेश तिवारी ने मामले में नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि नोडल अधिकारी डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने संक्रमितों की जानकारी सिर्फ राज्य को भेजी, जिले को नहीं दी, जिससे स्थानीय स्तर पर स्थिति की निगरानी नहीं हो सकी।
अब भी समय है: टेस्टिंग, पारदर्शिता और सतर्कता जरूरी
बिलासपुर जैसे बड़े शहर में संक्रमण फैलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती चिंता का विषय है। टेस्टिंग बढ़ाने, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू करने और पारदर्शिता अपनाने की जरूरत है। अगर अभी भी सतर्कता नहीं बरती गई, तो हालात फिर से बेकाबू हो सकते हैं।