रायपुर। क्या आपने कभी गोबर से बनी चप्पलों (Dung Slippers) के बारे में सुना है. अगर नही तो आज हम आपको बताते है ऐसे शहर के बारे में जहाँ देसी गाय के गोबर से बनी चप्पलों का निर्माण हो चुका है.जी हाँ छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में गोबर की चप्पले बनाने का कारनामा गोकुल नगर निवासी रितेश अग्रवाल ने कर दिखाया है.
रितेश अपने गौठानों में इन चप्पलों के निर्यात का काम करते है। अभी तक रितेश गोबर से 75 चप्पलें बना चुकें हैं। इन चप्पलों से प्रकृति के साथ- साथ लोगों का सेहत भी ठीक हो रहा है। चप्पल की कीमत ₹400 है। इसकी खासियत यह भी है कि करीब आधे घंटे तक पानी में होने के बावजूद ये खराब नहीं होती हैं.इसकी खासियत यह है कि करीब आधे घंटे तक पानी में होने के बावजूद ये खराब नहीं होती हैं.
प्रदेश में गोबर को लेकर कई तरह के काम किये जा रहे है.इतना ही नहीं उससे अब भूपेश सरकार में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.प्रदेश के अलग-अलग जिलों से चप्पल की मांग की जा रही है. ऑर्डर मिलने पर इसको बनाया जाता है अभी तक 70 से 75 लोगों को यह चप्पल दिया गया है. जिनको स्वास्थ्य लाभ हो रहा है बीपी शुगर कंट्रोल में है।
पशुपालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि गोबर का इस्तेमाल हर घर में होना चाहिए। रबर और प्लास्टिक का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है,मेरा सोचना है कि हर गौ भक्तों के पास कोई गोबर से बना ऐसा प्रोडक्ट हो जो बता सके कि ये गोबर से बनी है औऱ स्वास्थ्य का लाभ हो रहा है।
जो चप्पल बनाई जा रही है उसमें रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है सब जड़ी बूटियों से बनी होती है ग्वार गम का पाउडर, चुना पाउडर,गोबर पाउडर से बनाया जाता है। एक चप्पल को बनाने में 10 दिनों का वक्त लगता है।
पशुपालक रितेश ने सरकार की योजनाओं को सफल बताया उन्होंने कहा कि गौठान योजना से लोगों को रोजगार मिल रहा है। गोबर से अनेक तरह के प्रोडक्ट बनाया जाता है। सरकार की योजना सफल इसलिए है, क्योंकि लोगों को इस योजना से रोजगार मिल रहा है। प्रदेश के लोग अगर इन चीजों का ट्रेनिंग लेना चाहेंगे तो मैं फ्री में ट्रेनिंग दूंगा ताकि जो गोबर की महत्ता है उसे लोग जान सके और उसका फायदा उठा सके।