
लद्दाख. गलवान की झड़प के 20 दिन बाद चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है। उसने टेंट और अस्थाई निर्माण हटा लिए हैं। हालांकि, गलवान के गहराई वाले इलाकों में चीन की बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद हैं। लद्दाख में भारत-चीन के बीच 4 पॉइंट्स पर विवाद है। ये पॉइंट- पीपी-14 (गलवान रिवर वैली), पीपी-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया हैं। भारतीय सेना सभी पॉइंट पर नजर रख रही है।
15 जून की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई डिप्लोमैटिक और आर्मी लेवल की मीटिंग्स के साथ ही पिछले 48 घंटों की लगातार कोशिशों के बाद चीन पीछे हटने को तैयार हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को अचानक हुए लद्दाख दौरे के बाद तनाव कम करने की कोशिशें तेज हो गई थीं। मोदी ने लद्दाख सीमा से बिना नाम लिए चीन को चुनौती दी थी कि उसे विस्तारवादी नीति छोड़ देनी चाहिए।
30 जून को दोनों देशों के आर्मी अफसरों के बीच मीटिंग में भी विवाद वाले इलाकों से सैनिक पीछे हटाने पर सहमति बनी थी। भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 सैनिक मारे गए, लेकिन उसने यह कबूला नहीं।
लद्दाख में 30,000 जवान तैनात
गलवान की झड़प के बाद भारत ने लद्दाख में सैनिकों की 3 एक्स्ट्रा ब्रिगेड तैनात की हैं। एक ब्रिगेड में 3000 सैनिक हैं। इस तरह लद्दाख में अब करीब 30,000 सैनिक तैनात हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक जो अतिरिक्त जवान तैनात किए गए उन्हें पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश से बुलाया गया। 14वीं कॉर्प्स कमांड के अंडर में एलएसी पर आर्मी के डिवीजन हैं।