
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश भर में संचालित कुल 10,463 शालाओं के युक्तियुक्तकरण (School Rationalisation) का आदेश जारी किया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इस पहल में ई-संवर्ग की 5849 और टी-संवर्ग की 4614 शालाएं शामिल हैं।
यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूली संसाधनों का न्यायसंगत, प्रभावी और संतुलित उपयोग सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री बोले – यह भविष्य की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने वाला कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस फैसले को “प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने वाली पहल” करार देते हुए कहा,
“यह निर्णय न केवल शिक्षकों की उपलब्धता और संसाधनों के बेहतर वितरण को सुनिश्चित करेगा, बल्कि विद्यार्थियों को निरंतर, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का भी अवसर देगा। इससे छात्र ड्रॉपआउट दर में गिरावट आएगी और स्कूलों का वातावरण अधिक प्रभावशाली होगा।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि एक ही परिसर में विभिन्न स्तरों की पढ़ाई के समायोजन से बच्चों की शिक्षा यात्रा सहज बनेगी और पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी।
क्लस्टर विद्यालयों की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार का यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित क्लस्टर विद्यालय की अवधारणा को मूर्त रूप देने की दिशा में एक मजबूत कदम है। अब एकीकृत विद्यालय परिसरों में प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा एक ही जगह सुनिश्चित की जाएगी।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह केवल प्रशासनिक समन्वय की प्रक्रिया है और इसमें किसी भी शिक्षक पद को समाप्त नहीं किया गया है। इसके तहत शिक्षकों का न्यायसंगत वितरण किया जाएगा जिससे छात्रों को उनके अधिकार अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल न केवल वर्तमान शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करेगी, बल्कि राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में एक अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। यह निर्णय एक समावेशी, सशक्त और स्थायी शिक्षा व्यवस्था की नींव रखता है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।