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छ़ात्र ने गोबर भूसा और पत्तियों से बनाया गमला

पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) के छात्र अंकित कटकवार ने गोबर भूसा और पत्तियों के जीवाश्म से गमला (Flowerpot) बनाया है। छात्र अंकित कटकवार राज्य के जांजगीर जिले का रहने वाला है। उसने इस प्रकार का गमला बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। उसका कहना है कि इन गमलों का उपयोग डस्टबिन (Dustbin)  के रूप में भी किया जा सकता है।

बाजार में मौजूद डस्टबिन हानिकारक

अंकित कटकवार का कहना है कि बाजार में मौजूद सभी किस्म के गमले नुकसानदेह हैं। ऐसे में अगर गोबर और भूसे से बने गमलों का उपयोग किया जाता है तो इससे पर्यावरण का सरंक्षण भी होगा। इसके साथ ही साथ अगर इनमें कोई पौधा रोपा जाता है तो उसको खाद की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस गमले को बनाने के लिए इनमें गायों के गोबर का इस्तेमाल किया गया है।

सीएम के सपनों को मिलेगी उड़ान

अंकित कटकवार ने आगे कहा कि उन्होंने ऐसा इस लिए किया क्योंकि इससे मुख्यम़ंत्री भूपेश बघेल के सपने नरवा गरुआ घुरवा बाड़ी को बढावा मिलेगा। इसके अलावा छत्तीसगढ को राजस्व की प्राप्ति भी होगी।

विदेशों में हो रहा इस्तेमाल

हो सकता है कि आपको और हमें ये आइडिया नया लगे मगर विदेशों में इसका इस्तेमाल काफी पहले से होता आ रहा है। यहां तो इसके लिए बाकायदा काऊ पॉट मशीन (Cow Pot Machine) भी बनाई जा चुकी हैं। ऐसे में अगर लोग इसका इस्तेमाल करेंगे तो इससे छत्तीसगढ की अर्थ व्यवस्था मजबूत होगी।

 

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