
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम टेकर में एक परिवार सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा झेल रहा है। वजह सिर्फ इतनी है कि शादी के कुछ ही दिनों बाद उनकी बहू किसी और युवक के साथ भाग गई। इस घटना के बाद समाज के पदाधिकारियों ने परिवार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया और न देने पर समाज से बहिष्कार कर दिया।
आठ दिन में बहू भागी, आपसी समझ से मामला निपटा
देवी प्रसाद धीवर नामक व्यक्ति ने अपने बेटे की शादी ग्राम पोड़ी की एक युवती से वर्ष 2024 में सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार की थी। शादी के मात्र आठ दिन बाद बहू अपने मायके लौटकर पोड़ी के ही एक युवक के साथ भाग गई। दोनों पक्षों की आपसी बैठक में समझौता हुआ कि लड़की वालों द्वारा दिया गया सामान वापस कर दिया जाएगा। मामला आपसी सहमति से खत्म हो गया।
समाज से बिना बताए समझौते पर लगी सजा
देवी प्रसाद ने यह समझौता समाज के पदाधिकारियों को बताए बिना कर लिया, जिससे नाराज होकर समाज के अध्यक्ष राजेंद्र धीवर, सचिव पवन धीवर और कोषाध्यक्ष सतीश धीवर ने उस पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया और भुगतान न करने पर सामाजिक बहिष्कार का फैसला सुना दिया।
भाई की मौत पर भी नहीं आने दिया कोई रिश्तेदार
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि जब देवी प्रसाद के भाई की 19 जुलाई 2024 को मृत्यु हुई, तो समाज के पदाधिकारियों ने रिश्तेदारों को अंतिम संस्कार में शामिल होने पर रोक लगा दी। चेतावनी दी गई कि कोई भी यदि अंत्येष्टि में शामिल होगा तो उसे 1 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। डर के मारे करीबी रिश्तेदार भी अंतिम संस्कार में नहीं आए।
सालभर से बहिष्कार का दंश, कलेक्टर से की शिकायत
देवी प्रसाद का कहना है कि वह एक साल से सामाजिक बहिष्कार झेल रहा है। रिश्तेदार और परिचित समाज के डर से उसके घर नहीं आते। अब थक-हारकर उसने बिलासपुर कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
यह मामला सामाजिक दंड और बहिष्कार जैसी कुप्रथाओं की एक भयावह तस्वीर पेश करता है, जहां एक निर्दोष परिवार को ऐसी गलती की सजा दी जा रही है, जो उसका दोष नहीं है।