छत्तीसगढ़ में राज्यव्यापी बहिष्कार का ऐलान : युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग के खिलाफ शिक्षक संगठनों का बड़ा फैसला

रायपुर: छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में एक और बड़ा मोड़ आ गया है। राज्यभर के 23 शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधित्व वाले “शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़” ने युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग का राज्यव्यापी बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। मंच के प्रदेश संचालक मंडल ने यह फैसला सर्वसम्मति से लिया है।
गौरतलब है कि आज से महासमुंद जिले में युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू होने जा रही थी, लेकिन अब इसके खिलाफ जोरदार विरोध की तैयारी हो चुकी है।
क्या है निर्णय?
- प्रदेश संचालक मंडल ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले में कोई शिक्षक युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग में हिस्सा नहीं लेगा।
- सभी जिलाध्यक्षों, जिला संचालकों और ब्लॉक अध्यक्षों को सामूहिक नेतृत्व में इस प्रक्रिया का विरोध करने के निर्देश दिए गए हैं।
- जिलास्तरीय टीमों को “एक्शन मोड” में आने के लिए कहा गया है, जिससे विरोध को संगठित रूप दिया जा सके।
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किसने किया नेतृत्व?
इस सामूहिक निर्णय में शिक्षक साझा मंच के शीर्ष पदाधिकारी शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे और अनिल कुमार टोप्पो।
असंतोष की पृष्ठभूमि
शिक्षक संगठनों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हैं:
- वर्ष 2008 के सेटअप का पालन नहीं किया जा रहा।
- शिक्षक हितों की अनदेखी,
- शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव,
- और पारदर्शिता की कमी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
शिक्षक संगठनों का यह संगठित और एकजुट विरोध राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। आने वाले दिनों में यदि समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।