
कांकेर जिला मुख्यालय स्थित विवादित मदर मेरी अस्पताल एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। इस बार एक प्रसूता की डिलीवरी के बाद मौत हो गई, जिससे अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल का लाइसेंस वर्ष 2019 के बाद से नवीनीकृत नहीं हुआ है, फिर भी वहां लगातार इलाज और ऑपरेशन किए जा रहे थे।
डिलीवरी के बाद बिगड़ी हालत, नहीं किया गया रेफर
मृतिका के पति चंद्रकांत टांडिया ने बताया कि 31 मई को प्रसव पीड़ा के चलते पत्नी को अलबेलापारा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने पर वहां से बाहर रेफर किया गया, जिसके बाद परिवार ने समय की कमी के चलते मदर मेरी अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में धमतरी से आई एक महिला डॉक्टर ने ऑपरेशन कर डिलीवरी कराई। बच्चा तो सुरक्षित रहा, लेकिन महिला की हालत लगातार बिगड़ती गई।
परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार मरीज को रेफर करने की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि महिला वहीं ठीक हो जाएगी। अंततः 6 जून की रात 3:30 बजे महिला की मौत हो गई।
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पहले भी विवादों में रहा है अस्पताल
यह पहला मौका नहीं है जब मदर मेरी अस्पताल विवादों में आया हो। 2019 में नर्सिंग होम एक्ट के तहत आवश्यक दस्तावेज जमा न करने पर अस्पताल का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया गया था। इसके बावजूद अस्पताल अवैध रूप से संचालित होता रहा। इससे पहले भी अस्पताल को दो बार सील किया गया है—एक बार शव को पैसे न चुकाने पर नहीं सौंपने के मामले में, और दूसरी बार नवजात की मौत में लापरवाही के चलते।
स्वास्थ्य विभाग पर भी उठे सवाल
मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (CMHO) डॉ महेश साडिया ने बताया कि अस्पताल का लाइसेंस 2019 से नवीनीकृत नहीं हुआ है और यह कैसे संचालित हो रहा था, इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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स्वास्थ्य मंत्री का दौरा, सवालों के घेरे में विभाग
इस बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ श्याम बिहारी जायसवाल 10 जून को कांकेर दौरे पर रहेंगे। वे जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा करेंगे। ऐसे में जिला प्रशासन तैयारियों में जुटा है, लेकिन जिला मुख्यालय में बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे इस अस्पताल की ओर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।