
बालोद : जिन अस्पतालों का काम लोगों को स्वस्थ रखना है, अब वही खुद बदहाली की चपेट में आ गए हैं। बालोद जिला अस्पताल की हालत इतनी खराब हो गई है कि कई जरूरी मशीनें धूल फांक रही हैं, कई विभागों में ताले लटके हैं और सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
महंगी मशीनें बेकार, स्टाफ की भारी कमी
जिले के कई अस्पतालों में आज भी मूलभूत उपकरणों की भारी कमी है, जबकि बालोद जिला अस्पताल में करोड़ों रुपये की लागत से लाई गई कई आधुनिक मशीनें वर्षों से उपयोग में ही नहीं लाई गईं। स्टाफ की कमी के चलते कई विभागों के कमरों में ताले लगे हैं।
मातृ शिशु अस्पताल में बेतरतीब व्यवस्था
जिला अस्पताल के मातृ शिशु ब्लॉक की पहली मंजिल पर दंत चिकित्सा, होम्योपैथी, आयुर्वेद, और पैथोलॉजी जैसे विभाग संचालित हो रहे हैं। ओपीडी समय पर सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, खासकर गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए पैथोलॉजी लैब यहीं संचालित होती है।
महिला प्रसाधन की हालत बेहद खराब
महिला प्रसाधन की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सीलिंग फॉल की पट्टियां लटक रही हैं, जो कभी भी गिरकर किसी को गंभीर रूप से घायल कर सकती हैं। दीवारों पर पान-गुटखा की पीक और गंदगी फैली हुई है। साफ-सफाई नाम मात्र की है।
निरीक्षण से पहले ‘कायाकल्प’, बाद में फिर पुरानी स्थिति
राज्य स्तरीय “कायाकल्प” टीम के निरीक्षण के समय अस्पताल की स्थिति अचानक बदल जाती है। महिला प्रसाधन को बंद कर दिया जाता है, मरीजों के बेड पर नई चादरें बिछा दी जाती हैं। लेकिन अन्य दिनों में अस्पताल की स्थिति एकदम उलट होती है।
सीएमएचओ का बयान:
मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि, “छोटी-मोटी अनियमितताएं हर जगह होती हैं, उन्हें जल्द ही सुधार लिया जाएगा।”
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बालोद जिला अस्पताल की यह स्थिति न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जरूरत है कि इन अनियमितताओं पर गंभीरता से कार्रवाई हो और सुधार के ठोस कदम उठाए जाएं।