Advertisement
छत्तीसगढ़रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों की दी शुभकामनाएं, पढ़िए सीएम का संदेश

रायपुर। आजाद भारत के अमृत महोत्सव के मायने और मूल्यों को समझने के लिए हमें दो शताब्दियों की गुलामी को याद करना होगा। हमारे पुरखों ने अपनी जान दांव पर लगाकर, फिरंगी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उनका त्याग और बलिदान देश की भावी पीढ़ियों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए था। हमारा कर्त्तव्य है कि उनके सपनों को साकार करें और उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएं।
अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतिबाई लोधी जैसी हजारों विभूतियों की शहादत हमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देती रहेगी।

स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल-बाल-पाल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसी विभूतियों ने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दिया था। वहीं वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, श्रीमती बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदय राम वर्मा, खिलावन बघेल, घसिया मंडल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की थी, मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं।
देश की एकता और अखण्डता, संविधान व लोकतंत्र के प्रति आस्था को बचाए रखना एक चुनौती थी और इसके लिए भी हमारे देश की सेनाओं व सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत दी है। मैं उन अमर शहीदों को भी सादर नमन करता हूं।

इस अवसर पर मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखिरी वसीयतनामे का उल्लेख करना चाहूंगा, उन्होंने कहा था-‘भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन उसे अभी शहरों और कस्बों से भिन्न अपने सात लाख गांवों के लिए सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना बाकी है’।
आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं। कृषि व वन भूमि का कम होना, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण, बीमारियों, महंगाई, बेरोजगारी आदि से लोगों का जीवन संकटमय हुआ है। हमने पुरखों की सीख और माटी की संस्कृति का सम्मान करते हुए कृषि तथा वन उत्पादों, परंपरागत ज्ञान, आधुनिक साधनों व रणनीतियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का रास्ता चुना।
मुझे गर्व है कि हम आजादी की 75वीं सालगिरह के अवसर पर देश और दुनिया के सामने, बापू के सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप कार्य करने में सफल हुए हैं। इसमें प्रकृति-सम्मत विकास, हर व्यक्ति को गरिमा, न्याय व बराबरी के अवसर देने वाली योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं।
हमने न्याय योजनाओं की जो पहल की थी, उसे निरंतर आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। यही वजह है कि ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इससे लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों को दी जा चुकी है। इस तरह एक सीज़न में किसानों को प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की आदान सहायता देने वाला देश का पहला राज्य हमारा छत्तीसगढ़ है।
‘गोधन न्याय योजना’ भी तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, इसके अंतर्गत अब-तक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को 312 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। देश में रासायनिक खाद की कमी और मूल्य वृद्धि के परिदृश्य में हमारे गौठानों में निर्मित जैविक खाद, अब एक बेहतर विकल्प बन रही है।
किसानों की सिंचाई कर माफी की पहल में भी विस्तार किया गया है और 17 लाख से अधिक किसानों के 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की जा चुकी है। किसानों को 4 वर्ष पहले मात्र 3 हजार 692 करोड़ रुपए कृषि ऋण के रूप में प्राप्त हुआ था। हमने इस वर्ष लक्ष्य बढ़ाकर 6 हजार 500 करोड़ रुपए कर दिया है, जिससे लगभग 75 प्रतिशत अधिक राशि ब्याजमुक्त ऋण के रूप में कृषि क्षेत्र में आएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके तहत अब-तक पात्र हितग्राहियों को 213 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।
मैंने घोषणा की थी कि 31 जनवरी 2021 तक लंबित कृषि पंपों के ऊर्जीकरण का कार्य शीघ्र पूरा कर दिया जाएगा और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने 35 हजार 151 कृषि पंपों को ऊर्जित करते हुए एक नया कीर्तिमान बना लिया है। अब 20 हजार 550 नए पंप कनेक्शनों का कार्य 31 मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

हमने खेती को लाभ का जरिया बनाने का वादा भी निभाया है। लगातार बढ़ते हुए, इस वर्ष धान खरीदी 98 लाख मीटरिक टन के सर्वोच्च शिखर पर पहंुची है, जो 4 वर्ष पूर्व मात्र 57 लाख मीटरिक टन थी। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी अब बढ़कर 21 लाख 77 हजार से अधिक हो गई है, जो पहले मात्र 12 लाख 6 हजार थी। इस तरह हमारे प्रयासों से धान बेचने वाले किसानों की संख्या 9 लाख 71 हजार बढ़ी है। प्रदेश में धान के अलावा अन्य अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के भी अनेक उपाय किए गए हैं, जिसके कारण अनाज उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ न सिर्फ स्वावलम्बी हुआ है बल्कि प्रदेश में कुल आवश्यकता का 270 प्रतिशत अधिक अनाज उत्पादन हुआ है। फसल विविधीकरण की गति बढ़ाने के लिए ‘टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने बहुत से कदम उठाए हैं। इस वर्ष से दलहन फसलों की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर की जाएगी।
खरीफ 2021 में धान के बदले 17 हजार 539 एकड़ क्षेत्र में दलहन, तिलहन एवं 240 एकड़ में वृक्षारोपण किया गया है। रबी 2021-22 में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 95 हजार हेक्टेयर कम करते हुए 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का एवं शेष रकबे में दलहन, तिलहन, साग-सब्जी की फसलें लगाई गई हैं। खरीफ 2022 में धान के 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को दलहन-तिलहन एवं अन्य उद्यानिकी फसलों से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का गठन किया गया है। कोदो, कुटकी, रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर इनकी खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है।
‘सुराजी गांव योजना’ अत्यंत महत्वाकांक्षी पहल है, जिससे छत्तीसगढ़ को स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने, भू-जल संरक्षण व रिचार्जिंग को बढ़ाने और कृषि भूमि को जहरीले रसायनों से मुक्ति दिलाते हुए जैविक खेती में मदद मिल रही है।
‘नरवा योजना’ से विभिन्न नालों में 99 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे उपचारित क्षेत्र में भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, वहीं नालों में पानी की उपलब्धता भी दो माह अधिक रहने लगी है। ‘गरुवा योजना’ में पहले हमने गौठानों के विकास पर जोर दिया। अब-तक 8 हजार 408 गौठानों को विकसित किया जा चुका है, जो ‘रोका-छेका अभियान’ के साथ आर्थिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र बने हैं। गोबर से बिजली बनाने के लिए ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने हेतु एमओयू किया गया है। गोबर से ऑयल पेंट तथा अन्य उत्पाद बनाने की दिशा में भी बहुआयामी पहल की जा रही है।

गौठानों को आजीविका-केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु हम ‘ग्रामीण आजीविका पार्क’ अर्थात ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ प्रारम्भ करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए आजीविका के माध्यम से अतिरिक्त आय के साधन बनाना है। गांधी जयंती अर्थात 2 अक्टूबर 2022 के अवसर पर इसका शुभारम्भ किया जाएगा और प्रथम वर्ष में 300 ऐसे पार्क स्थापित कर दिए जाएंगे। अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हमने 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौ-मूत्र खरीदी की योजना भी शुरू कर दी है, जो ‘रासायनिक पेस्टिसाइड्स’ के मुकाबले एक बेहतर विकल्प है।
‘बाड़ी योजना’ अंतर्गत प्रति गौठान एक से डेढ़ एकड़ तक भूमि चिन्हांकित की गई है और अभी तक 3 लाख से अधिक बाड़ियां विकसित की जा चुकी हैं।
राज्य के बम्पर धान उत्पादन को किसानों की शक्ति बनाने के लिए हमने राज्य की जरूरतें पूरी होने के बाद, शेष धान से ‘बायो एथेनाल’ के उत्पादन की योजना बनाई है और 27 निवेशकों के साथ एमओयू भी किया है। विकासखण्डों में फूडपार्क बनाने की योजना के तहत अभी तक 112 स्थानों पर भूमि चिन्हांकित की जा चुकी है और इनमें से 52 विकासखण्डों में लगभग 621 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण उद्योग विभाग को किया गया है।
परम्परागत कौशल के वैल्यू-एडीशन के लिए हमने ‘सी-मार्ट’ की स्थापना का वादा भी निभाया है। इससे बुनकरों, कारीगरों, शिल्पकारों तथा स्व-सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री हेतु उचित बाजार मिलेगा।

‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ को हम ग्रामीण अंचलों में मजदूरी से जीवन-यापन करने वाले परिवारों की जीवन रेखा मानते हैं। मुझे खुशी है कि वर्ष 2021-22 में हमने ‘लेबर बजट’ के विरूद्ध मांग के आधार पर लक्ष्य से 108 प्रतिशत अधिक मानव दिवस रोजगार सृजित किए। मनरेगा से हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर निर्मित करने का लक्ष्य था, हमने उससे अधिक 2 हजार 709 अमृत सरोवर निर्मित किए। गौठानों के निकट मछली पालन के 1 हजार 859 तालाब स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 1 हजार 318 पूर्ण कर लिए गए हैं। मैंने मनरेगा को शहरी क्षेत्रों के लिए भी लागू करने का अनुरोध भारत सरकार से किया है।
हमने श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण योजना’ का लाभ 3 हजार से अधिक हितग्राहियों को, ‘मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना’ का लाभ 88 हजार से अधिक हितग्राहियों को मिला है। ‘मुख्यमंत्री सियान श्रमिक योजना’ के तहत निर्माण श्रमिकों को पात्रता अनुसार 10 हजार रुपए, श्रम कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्ति के रूप में 30 हजार रुपए तक राशि, ‘मेधावी शिक्षा पुरस्कार योजना’ के तहत 1 लाख रुपए तक की राशि, ‘खेलकूद प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत 1 लाख 50 हजार रुपए तक की राशि देने का प्रावधान किया गया है।

पूर्व में आम जनता के साथ ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हमने ठोस कार्यवाही करते हुए उनके 622 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। माननीय न्यायालयों द्वारा लगभग 56 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की नीलामी के आदेश दिए जा चुके हैं, जिसमें से 32 करोड़ रुपए की राशि नीलामी से प्राप्त हुई है और 28 हजार से अधिक निवेशकों को लगभग 18 करोड़ रुपए लौटाए जा चुके हैं। नीलामी से प्राप्त शेष राशि भी निवेशकों को लौटाने का कार्य प्रगति पर है। ऐसी अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही भी जारी है।
आदिवासियों को विभिन्न तरीकों से न्याय देने के उपाय किए गए हैं। अदालतों में लंबित विभिन्न प्रकार के 1 हजार 275 प्रकरण वापस होने से उनकी सम्मानजनक रिहाई तथा घर वापसी हुई है। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा करते हुए ऐसे मामलों में आदिवासियों तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनकी काबिज भूमि के अधिकार देने का वादा हमने निभाया है। अनुसूचित जनजाति तथा परंपरागत वन निवासियों को अभी तक 5 लाख 3 हजार 993 व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार पत्र दिए जा चुके हैं, जिसके तहत 38 लाख 85 हजार 900 हेक्टेयर भूमि के अधिमान्यता पत्र वितरित किए गए हैं।
हमने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 2 हजार 500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया। पूर्व में सिर्फ 7 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी। हमने 65 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ की। विगत 3 वर्षों में देश में समर्थन मूल्य पर हुई कुल लघु वनोपज खरीदी का 75 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ में क्रय किया गया, जो एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है, इससे वनआश्रित परिवारों को करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु देवगुड़ी व घोटुल स्थलों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। नक्सली गतिविधियों से बाधित और बंद हुई 260 शालाओं का संचालन पुनः प्रारंभ किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के 9 हजार 623 युवाओं को सरकारी नौकरी देने की घोषणा भी मैंने की है, जिसे शीघ्र पूरा किया जाएगा।

मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने आदिवासियों के हित में बरसों से लंबित ‘पेसा अधिनियम’ के अंतर्गत नियम बनाने का काम पूरा कर इसे लागू कर दिया है, जिससे ग्राम सभाओं की शक्ति बढ़ेगी और उन्हें जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार मिलेगा।
मेरा मानना है कि हमारे पुरखों ने देश को आजाद कराने की जो अवधारणा विकसित की थी, वह बहुत व्यापक थी और उसमें सबसे प्रमुख तत्व न्याय दिलाना ही था। इसलिए हमने आर्थिक, सामाजिक क्षेत्रों के साथ ऐसे हर उपाय किए हैं, जिससे समाज के हर वर्ग को गरिमा के साथ जीने का अवसर मिले, उनके विकास के बंद रास्ते खुलें। जटिल नियम-प्रक्रियाओं के बंधन समाप्त हों। हर क्षेत्र में सुधार हों। जनता के संविधान सम्मत अधिकारों और सुविधाओं में निरंतर वृद्धि हो।

शिक्षा के क्षेत्र में हमने सुधार के स्थायी उपाय किए, जिसके तहत पहले चरण में 14 हजार से अधिक शिक्षकों की स्थायी भर्ती का कार्य शुरू किया गया, जो अब अंतिम चरणों में है। इसके अतिरिक्त 10 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ से स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयी है। विगत वर्ष हमने 51 स्कूलों से यह योजना प्रारंभ की थी, जो अब बढ़कर 279 स्कूलों तक पहुंच चुकी है। इनमें से 32 स्कूल हिन्दी माध्यम के हैं तथा 247 स्कूलों में हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी माध्यम में भी शिक्षा दी जा रही है। इस वर्ष 2 लाख 52 हजार 600 बच्चों ने इन स्कूलों में प्रवेश लिया है, जिसमें 1 लाख 3 हजार बच्चे अंग्रेज़ी माध्यम तथा 1 लाख 49 हजार 600 बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं। इस योजना की सफलता को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि अधिक से अधिक स्कूलों को इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व 422 स्कूलों में यह योजना लागू होगी, जिनमें से 252 स्कूल बस्तर एवं सरगुजा संभाग में होंगे और इनमें दंतेवाड़ा जिले के शत-प्रतिशत शासकीय हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल होंगे। अपना वादा निभाते हुए हमने नवा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।

बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए हमने हिन्दी के अलावा 16 स्थानीय भाषाओं में तथा 4 पड़ोसी राज्यों की भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराई हैं। ‘निःशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना’ के तहत कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक सभी शासकीय-अशासकीय शालाओं तथा कक्षा आठवीं तक मदरसों के बच्चों को लगभग 52 लाख पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जा रही हैं। नवमीं कक्षा में पढ़ने वाली 1 लाख 55 हजार छात्राओं को इस वर्ष निःशुल्क सायकल देने का लक्ष्य रखा गया है।

स्कूली शिक्षा को रोजगारमूलक बनाने के लिए उसका आईटीआई के साथ समन्वय किया गया है, ताकि स्कूली शिक्षा और आईटीआई प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र एक साथ प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत 114 हायर सेकेण्डरी स्कूलों को जोड़ा जा चुका है।
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 1 हजार 459 सहायक प्राध्यापकों, क्रीड़ा अधिकारियों और ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। अतिथि व्याख्याताओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सभी जिलों में कन्या महाविद्यालय खोलने के क्रम में मुंगेली में नया कन्या महाविद्यालय प्रारंभ कर दिया गया है।
दुर्गम वन अंचलों में पीपीपी मॉडल पर महाविद्यालय खोलने, उत्कृष्ट शासकीय महाविद्यालयों में मुक्त दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र की स्थापना, स्नातक स्तर पर 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम, बस्तर विश्वविद्यालय में आदिवासी लोक नृत्य एवं संगीत पर सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने की पहल जैसे उपायों से उच्च शिक्षा का दायरा बढ़ाया जा रहा है, जिससे युवाओं को पढ़ाई पूरी करने के साथ बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
हमने युवाओं को सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए 6 हजार 518 से अधिक ‘राजीव युवा मितान क्लब’ प्रारम्भ कर दिए हैं, जिसका विस्तार सभी पंचायतों तथा नगरीय-निकायों में किया जाएगा।

राज्य की बेरोजगारी दर लगातार देश में न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है, जो हमारी युवा कल्याण और रोजगारपरक योजनाओं की सफलता का प्रमाण है। ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी’ द्वारा जारी नए आंकड़ों के अनुसार जुलाई में राज्य की बेरोजगारी दर मात्र 0.8 प्रतिशत रही, जबकि देश की औसत बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई है।
मैंने 26 जनवरी 2022 को शासकीय कार्यालयों में पांच कार्य दिवस प्रति सप्ताह प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी, जिसे तत्काल पूरा किया गया, जिससे हमारे कर्मचारी साथी अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ कार्य करने में सक्षम हुए हैं। इसी प्रकार हमने राज्य के शासकीय कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों के भविष्य की चिंता करते हुए, उनकी लंबित मांग पूरी की और 1 नवम्बर, 2004 अथवा उसके पश्चात नियुक्त शासकीय कर्मचारियों के लिये नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है।

हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘निःशुल्क डायलिसिस कार्यक्रम’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लीनिक योजना’, ‘दीर्घायु वार्ड योजना’ के अंतर्गत 83 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य-लाभ मिला है। प्रदेश को मलेरियामुक्त बनाने के विशेष अभियान से 6 चरणों में मलेरिया की दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.21 प्रतिशत हो गई है।

उच्च गुणवत्ता की जेनेरिक दवाएं तथा सर्जिकल सामान 51 से 72 प्रतिशत तक छूट पर देने के लिए हमने ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना’ के अंतर्गत नगरीय क्षेत्रों में 184 दुकानें प्रारंभ कर दी हैं। जेनेरिक दवाओं के विक्रय से अब तक 19 लाख लोगों को 35 करोड़ रुपए की बचत हुई है। रियायती दर पर पैथोलॉजी जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 10 जिलों व 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ‘हमर लैब’ प्रारंभ किए गए हैं।
विगत वर्ष प्रदेश में ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर’ स्थापित करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध हमने 116 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की और 4 हजार 512 ऐसे सेंटर स्थापित किए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ को देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ में छत्तीसगढ़ को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
जगदलपुर तथा बिलासपुर में मल्टी सुपर स्पेश्यलिटी चिकित्सालय, बिलासपुर में राज्य कैंसर संस्थान, कोरबा-कांकेर तथा महासमुंद में नए चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना हेतु राज्य शासन द्वारा समुचित बजट प्रावधान किया गया है। नवा रायपुर में भी अत्याधुनिक मल्टी सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल की स्थापना हेतु 25 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर दी गई है।

कोरोना से बचाव के लिए टीके लगाने का काम हम काफी तेजी से कर रहे हैं। अभी तक कुल 4 करोड़ 44 लाख 75 हजार टीके लगाए जा चुके हैं। मैं चाहंूगा कि आप सभी लोग कोरोना से बचाव के लिए पात्रतानुसार टीका लगवाएं। वर्तमान में जो निःशुल्क ‘बूस्टर डोज’ की सुविधा उपलब्ध है, उसका लाभ भी बड़ी संख्या में उठाएं।
हमने प्रदेश में सार्वभौम पीडीएस व्यवस्था लागू करने का वादा निभाया है। इस योजना के हितग्राहियों की संख्या 2 करोड़ 60 लाख हो गई है, जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 100 प्रतिशत कवरेज है। आयरन फॉलिक एसिड युक्त, फोर्टिफाइड चावल का वितरण 10 आकांक्षी जिलों के साथ कबीरधाम एवं रायगढ़ जिलों में भी ‘मध्याह्न भोजन’ व ‘पूरक पोषण आहार योजना’ के तहत किया जा रहा है। वर्ष 2024 तक पीडीएस के अंतर्गत सभी जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण प्रारंभ किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश के 51 हजार 664 आंगनवाड़ी केन्द्रों में 26 लाख महिलाओं तथा बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ से कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी आई है। योजना अवधि में अब तक 2 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। ‘नोनी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत 43 हजार से अधिक बेटियों को लाभान्वित किया गया है। आंगनवाड़ी और प्राथमिक शाला के समन्वय से 5 हजार से अधिक आंगनवाड़ी को बालवाड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
‘स्वच्छता अभियान’ में छत्तीसगढ़ की भागीदारी और सफलता की मिसाल है कि हमारे ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल’ को विगत 3 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय स्तर पर ‘राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण’ में प्रथम स्थान मिल रहा है। शहरी सुविधाओं में सुधार की दिशा में हमने शहरी क्षेत्रों में 5 हजार वर्गफुट भू-खण्ड के आवासों में ‘ट्रस्ट दैन वेरिफाई’ के सिद्धांत पर सीधे हितग्राही को भवन अनुज्ञा प्रदान करने का कार्य प्रारंभ किया है।

नागरिकों को मानचित्र ऑनलाइन कम्प्यूटर से जांच उपरांत एक क्लिक एवं एक रुपए के आवेदन शुल्क की अदायगी पर पूरे वैधानिक प्रावधानों के साथ जारी किए जा रहे हैं। शहरों के पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए हमने इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर ‘कृष्ण कुंज योजना’ शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत सभी 170 नगरीय-निकायों में 226 एकड़ क्षेत्र में सांस्कृतिक महत्व के पौधों का रोपण किया जाएगा।
आम जनता को घर पहुंच नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई, ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ का लाभ 14 नगर निगमों में 5 हजार से अधिक लोगों को मिल चुका है। ‘मोर जमीन-मोर मकान’ एवं ‘मोर मकान-मोर चिन्हारी’ योजनाओं के जरिए हमने झुग्गीवासियांे के लिए 1 लाख से अधिक आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया है। अब शहरी किराएदारों को भी मकान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्यवाही की जा रही है।
हमने छोटे भू-खंडों की खरीदी-बिक्री से रोक हटाने का जो फैसला किया था, उसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं, इससे लगभग 3 लाख 55 हजार छोटे भू-खंडों के पंजीयन हुए हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक गतिविधियां शुरू र्हुइं और अनेक लंबित कार्य संभव होने से परिवारों में खुशियां आई हैं।
हमने जमीनों की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी, महिलाओं के पक्ष में रियायत, आवासीय भवनों के पंजीयन में रियायत, पंजीयन हेतु ‘ऑनलाइन अपॉइंटमेंट’ जैसे अनेक सुधार किए, जिससे कोरोना के बावजूद प्रदेश में स्थायी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय बढ़ा और लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्ति हुई। इससे हमारी सरकार की सुधारों के प्रति व्यावहारिक दृष्टि और उसे जन-समर्थन मिलने की पुष्टि भी होती है।

जनहित के लिए सुधारों के सिलसिले में अनधिकृत विकास के नियमितीकरण हेतु नया कानून, आवासीय कालोनियों के विकास हेतु एकल खिड़की प्रणाली-सीजी आवास, प्रमुख शहरों के जर्जर भवनों के पुनर्विकास हेतु योजना, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की विशेष भाड़ा योजना में विधवा, शासकीय कर्मचारी, निगम-मंडल के कर्मचारी, शासकीय व अर्द्धशासकीय विभागों के संविदा कर्मचारी, सैनिक व भूतपूर्व सैनिक तथा स्वास्थ्यकर्मी को कुल देय ब्याज की राशि में 10 प्रतिशत की छूट का लाभ भी मिलेगा।

प्रदेश में उद्योग-व्यापार तथा कारोबार में वृद्धि को कानून- व्यवस्था की बेहतर स्थिति तथा राज्य सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम माना जाता है। विगत साढ़े तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में 2 हजार 230 नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 21 हजार 494 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है और लगभग 41 हजार लोगों को रोजगार मिला है। खाद्य प्रसंस्करण की 502 इकाइयों में 970 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। भारत सरकार द्वारा जारी स्टार्टअप रैंकिंग में छत्तीसगढ़ को स्टार्टअप ईको-सिस्टम के विकास तथा 748 स्टार्टअप इकाइयों के पंजीयन हेतु एस्पायरिंग लीडर का सम्मान मिला।
इसके अतिरिक्त विगत साढ़े तीन वर्षों में नए उद्योगों की स्थापना हेतु 177 एमओयू किए गए हैं, जिनके माध्यम से लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश तथा 1 लाख 10 हजार लोगों को रोजगार देना प्रस्तावित है। इनमें से 11 इकाइयों में 1 हजार 513 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। मुझे विश्वास है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं लीथियम आयन बैटरीज, जूट बैग निर्माण प्रोजेक्ट जैसे नए क्षेत्रों को विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का भी लाभ जल्दी मिलेगा।
हमने छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म सेल का गठन किया है। ‘सिंगल विंडो पैनल साफ्टवेयर’ विकसित किया है, जिसमें निर्माता-निर्देशक को समस्त विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने हेतु जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया है।

मेरा मानना है कि शासन-प्रशासन की सुविधाएं आम जनता को व्यापक पारदर्शिता के साथ मिलें तो यह भी न्याय है। हमने सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों से ऑनलाइन नागरिक सेवाओं पर जोर दिया, जिसके कारण प्रदेश में ऑनलाइन नागरिक सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है और 98 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन शासकीय सेवाओं का लाभ लिया है।

परिवहन से संबंधित सेवाओं का वास्ता अधिकांश लोगों से होता है। हमने लर्निंग लाइसेंस, यात्री वाहनों के पर्यटन आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की है। वाहनों के पंजीयन एवं चालक लाइसेंस ‘क्यू आर कोड’ आधारित स्मार्ट कार्ड पर जारी किए जा रहे हैं। परिवहन कार्यालय आने-जाने से बचत हेतु ‘परिवहन सुविधा केन्द्र’ खोले जा रहे हैं। ‘तुंहर सरकार-तुंहर दुआर’ की संकल्पना को साकार करने हेतु आरसी बुक तथा लाइसंेस की घर पहुंच सेवा स्पीड पोस्ट के माध्यम से की गई, जिसके तहत अभी तक 11 लाख 41 हजार से अधिक दस्तावेज आवेदकों के घर भेजे जा चुके हैं।
अधोसंरचना विकास के लिए हमने परिणाममूलक नजरिया अपनाया, जिसके कारण सिंचाई क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई का रकबा 10 लाख 90 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख 58 हजार हेक्टेयर हो गया।

जल-जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य के 56 लाख ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन देने के लिए सितम्बर 2023 की समय-सीमा तय की गई है और 13 लाख 8 हजार नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
प्रदेश में 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य की विशेष जरूरतों के अनुरूप ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ में 495 करोड़ रुपए की लागत से 735 किलोमीटर सड़कें, एडीबी लोन के माध्यम से 3 हजार 535 करोड़ रुपए की लागत से 869 किलोमीटर सड़कंे, आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से 2 हजार 478 किलोमीटर सड़कें, छत्तीसगढ़ सड़क अधोसंरचना विकास निगम द्वारा 5 हजार 503 करोड़ रुपए की लागत से 3 हजार 169 किलोमीटर सड़कें तथा ‘जवाहर सेतु योजना’ के माध्यम से 620 करोड़ रुपए की लागत से 94 पुलों का निर्माण कराया जा रहा है।

मैंने कहा था कि प्रदेश में बिजली का उपभोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होगी ताकि बिजली हमारे प्रदेश में रोजगार, उद्यमिता और जीवन स्तर उन्नयन का माध्यम बने। हमने ‘हाफ बिजली बिल योजना’ का वादा निभाया, जो अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके अंतर्गत 41 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 2 हजार 500 करोड़ रुपए की बचत हो चुकी है। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने वर्ष 2018-19 की सर्वाधिक मांग 4 हजार 640 के मुकाबले 5 हजार 300 मेगावाट का उच्चतम स्तर छुआ है। कुशल प्रबंधन से विद्यमान बिजली घरों में उच्चतम उत्पादन हुआ और पारेषण तथा वितरण की बेहतर व्यवस्था करने में भी सफल हुए। अब छत्तीसगढ़ एक सशक्त विद्युत प्रणाली वाला राज्य बन गया है, जिससे और भी अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमने वर्ष 2025 तक की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया है।

भाइयों-बहनों और बच्चों,छत्तीसगढ़ की तासीर पर हम सबको गर्व होने के अनेक कारण हैं। एक ओर स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के दौरान छत्तीसगढ़ महतारी के वीर सपूतों और सुपुत्रियों के पराक्रम के साथ ही उनकी सत्याग्रह के प्रति अटूट आस्था के दर्शन होते हैं तो वहीं दूसरी ओर वह विशाल आदिवासी अंचल भी है, जिसने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया था। भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि का प्रताप भी हमारी धरती में समाया है, इसलिए हम राम वनगमन पर्यटन परिपथ का विकास कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र जारी कर उसे समस्त सरकारी कार्यालयों में लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
अपनी माटी का मान बढ़ाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन ‘माटी पूजन अभियान’ की शुरूआत तथा श्रम दिवस के दिन ‘बोरे बासी’ का सम्मान लौटाने की शुरूआत की गई। हरेली, तीजा-पोरा, भक्तमाता कर्मा जयंती, छेर-छेरा पुन्नी, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा आदि को लोक पर्व के रूप में स्थापित कर, हमने छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान को नई ऊंचाई दी है। अब राज्य स्तरीय सम्मानों की सूची में ‘देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कार’ और ‘लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार’ को भी शामिल किया गया है।

हमें विरासत में जो नक्सलवाद की समस्या मिली थी, उसकी रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत है। इस जीत में ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की बड़ी भूमिका है। हमने विगत साढ़े तीन वर्षों में सकारात्मक कदम उठाकर पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है। वर्ष 2018 में राज्य में पुलिस बल की संख्या 75 हजार 125 थी, जो अब बढ़कर 80 हजार 128 हो गई है। ’बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2 हजार 800 पदों पर स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो सुरक्षा बलों को नई शक्ति प्रदान करेंगे। हमारे प्रशासन व आपदा-मोचन बल की कुशलता और सक्षमता का प्रमाण जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में खुले बोरवेल में गिरे एक बच्चे के बचाव और बाढ़ में फंसे 68 लोगों को सुरक्षित बचाने के दौरान भी दिखा।
लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की क्षमता वृद्धि से जन-अपेक्षाओं की पूर्ति व विकास कार्यों का सीधा रिश्ता होता है। इसलिए हमने त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं, नगरीय निकायों के पदाधिकारियों के मानदेय एवं वित्तीय अधिकारों में वृद्धि की है, साथ ही विधानसभा सदस्यों का वेतन भी बढ़ाया है। मैं चाहूंगा कि समस्त जनप्रतिनिधि अधिक सक्रियता के साथ जनसमस्याओं के निवारण और प्रदेश की प्रगति में अपनी भागीदारी निभाएं।

आपसी विश्वास, समन्वय, सद्भाव, एकता और समझदारी की बदौलत हम भावी चुनौतियों का मुकाबला भी पूरी क्षमता से करेंगे। आजादी की 75वीं वर्षगांठ से फिर एक नया सफर शुरू होगा, जो न्याय की हमारी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य पूरा करेगा। मुझे विश्वास है कि आपका सहयोग और आशीर्वाद बना रहेगा।

Advertisement
Tags

Editorjee News

I am admin of Editorjee.com website. It is Hindi news website. It covers all news from India and World. I updates news from Politics analysis, crime reports, sports updates, entertainment gossip, exclusive pictures and articles, live business information and Chhattisgarh state news. I am giving regularly Raipur and Chhattisgarh News.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close