Advertisement
छत्तीसगढ़पॉलिटिक्सबड़ी खबर

तेंदूपत्ता संग्रहकों के लिए ‘चरण पादुका योजना’ फिर शुरू, सीएम साय ने निभाया ‘मोदी की गारंटी’, कांग्रेस ने उठाए सवाल

 

रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजनीति में तेंदूपत्ता संग्रहकों की ‘चरण पादुका योजना’ एक बार फिर से सियासी चर्चा के केंद्र में आ गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य के 10 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए एक अहम कदम उठाते हुए इस योजना को पुनः शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले मजदूरों को सुरक्षित और आरामदायक चप्पलें (फुटवेयर्स) वितरित की जाएंगी।

मुख्यमंत्री साय ने योजना की शुरुआत करते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों से किए गए वादे की “गारंटी” बताया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने 16-17 महीनों में ‘मोदी की गारंटी’ के अंतर्गत जितनी भी घोषणाएं की थीं, उन्हें पूरा किया है। तेंदूपत्ता संग्राहक जंगलों में नंगे पांव काम करते हैं, जिससे उन्हें कई बार गंभीर चोटें आती हैं। इसी सोच के साथ पहले भाजपा सरकार में यह योजना शुरू हुई थी, जिसे कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद बंद कर दिया। अब हमने इसे फिर से शुरू कर दिया है।”

 

READ MORE : राजधानी के पॉश कॉलोनी मे शराब तस्करी,आबकारी विभाग का छापा, 105 लीटर अवैध विदेशी मदिरा जब्त, एक आरोपी गिरफ्तार!

आदिवासी समाज में खुशी, विपक्ष ने लगाए ‘कमीशन’ के आरोप

प्रदेश के वनांचलों में तेंदूपत्ता संग्रहकों में योजना को लेकर खुशी का माहौल है। वहीं विपक्ष इस योजना को लेकर सरकार पर सीधा हमला कर रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने योजना को ‘कमीशन आधारित स्कीम’ करार देते हुए कहा, “बीजेपी की सबसे पसंदीदा योजना चरण पादुका ही है, क्योंकि इसमें गरीब आदिवासियों को चप्पल देने के नाम पर मोटा कमीशन खाया जाता है। एक पैर में 8 नंबर का जूता, दूसरे पैर में 9 नंबर का — यह योजना नहीं, कमीशन का खेल है। कांग्रेस सरकार में हमने इस योजना को बंद कर नकद राशि देना शुरू किया ताकि लोग अपनी मर्जी से जूते खरीद सकें।”

तेंदूपत्ता संग्राहकों को फिर मिला सरकारी साथ

इस योजना के तहत सरकार ने प्रति मानक बोरे की दर भी बढ़ा दी है, जिससे तेंदूपत्ता संग्रहकों की आमदनी में सुधार आएगा। माना जा रहा है कि इस पहल से राज्य के 10 लाख से अधिक संग्राहक परिवारों को राहत मिलेगी। साथ ही आने वाले पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में इसका राजनीतिक लाभ भी मिल सकता है।

 

READ MORE : स्कूली बच्चों की किताबें बेचने पर शिक्षिका सस्पेंड, वायरल वीडियो से खुला मामला

सियासी तापमान और बढ़ा

‘चरण पादुका योजना’ अब महज सामाजिक योजना न रहकर एक सियासी हथियार बनती जा रही है। कांग्रेस इसे पुराने “कमीशन राज” की वापसी बता रही है, तो भाजपा इसे गरीबों की जिंदगी में राहत लाने वाला कदम कह रही है।

अब देखना यह होगा कि इस योजना के ज़रिए भाजपा आदिवासी समुदाय में अपनी पैठ फिर मजबूत कर पाती है या कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर चुनावी माहौल में भुनाने में कामयाब होती है।

 

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close